Monday, May 20, 2024
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Maharana Pratap Birth Anniversary: कभी हार न मानने वाले महाराणा प्रताप ने अकबर के घमंड को ऐसे किया था चूर

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India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Maharana Pratap Birth Anniversary: 7 फीट 5 इंच लंबा, वजन 110 किलो। 81 किलो वजनी भारी भाला और छाती पर 72 किलो वजनी कवच। उनके युद्ध कौशल से शत्रु भी प्रभावित थे। जिसने मुगल शासक अकबर का भी घमंड चूर कर दिया था। 30 वर्षों तक लगातार प्रयास के बाद भी अकबर उसे पकड़ नहीं सका। ऐसे वीर योद्धा महाराणा प्रताप की 9 मई को जयंती है। आइये जानते हैं महाराणा प्रताप के बारे में रोचक बातें।

महाराणा प्रताप की वीरता की कहानी

महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को मेवाड़, राजस्थान में हुआ था। राजपूत शाही परिवार में जन्मे, प्रताप उदय सिंह द्वितीय और महारानी जयवंता बाई के सबसे बड़े पुत्र थे। महाराणा प्रताप ने कई बार मेवाड़ को मुगलों से बचाया था विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। यही कारण है कि महाराणा प्रताप की वीरता की तुलना किसी से नहीं की जा सकती।

हल्दीघाटी का युद्ध

1576 में हल्दी घाटी में महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच युद्ध हुआ था। महाराणा प्रताप ने अपने 20 हजार सैनिकों और सीमित संसाधनों के बल पर अकबर की 85 हजार सैनिकों की विशाल सेना के खिलाफ आजादी के लिए कई वर्षों तक संघर्ष किया। कहा जाता है कि ये लड़ाई तीन घंटे से भी ज्यादा समय तक चली. इस युद्ध में घायल होने के बावजूद भी महाराणा मुगलों के हाथ नहीं आये। इन महिला कमांडो का नाम कुर्द लड़ाकों में शामिल है। इन्हें सीरिया के सीमावर्ती इलाकों में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के खिलाफ मोर्चे पर तैनात किया गया है।  इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों से मुकाबला करने के लिए उन्हें गर्म और चट्टानी रेगिस्तान में सबसे कठिन युद्ध प्रशिक्षण दिया जाता है।

जब महाराणा जंगल में छुप गये

महाराणा प्रताप कुछ साथियों के साथ जंगल में छुप गये और जंगल के कंद-मूल खाकर युद्ध करते रहे। यहीं से महाराणा ने पुनः अपनी सेना एकत्र करना प्रारम्भ किया। हालाँकि, मारे गए मेवाड़ सैनिकों की संख्या 1,600 तक पहुँच गई और मुग़ल सेना के 350 सैनिक घायल हो गए। इसके अलावा 3500 से 7800 सैनिकों की जान चली गई थी। 30 वर्षों के लगातार प्रयास के बाद भी अकबर, महाराणा प्रताप को पकड़ नहीं सका। आख़िरकार अकबर को महाराणा को पकड़ने का विचार छोड़ना पड़ा। कहा जाता है कि महाराणा प्रताप के पास हमेशा 104 किलो वजन की दो तलवारें रहती थीं। महाराणा अपने पास दो तलवारें रखते थे ताकि यदि उनका सामना किसी निहत्थे शत्रु से हो तो वे उसे एक तलवार दे सकें, क्योंकि वे निहत्थे पर आक्रमण नहीं करते थे।

एक ही छलांग में 26 फीट का नाला पार कर लिया था।

महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक भी उन्हीं की तरह वीर था। महाराणा के साथ उनके घोड़े को सदैव याद किया जाता है। जब मुगल सेना महाराणा प्रताप का पीछा कर रही थी, तब चेतक ने महाराणा को अपनी पीठ पर बिठाकर 26 फीट का नाला पार किया, जिसे मुगल पार नहीं कर सके। चेतक इतना शक्तिशाली था कि उसके मुँह के सामने हाथी की सूंड आ सकती थी। चेतक ने महाराणा को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

यहां तक कि महाराणा प्रताप की मृत्यु पर अकबर की आंखें भी नम थीं.

ऐसा कहा जाता है कि महाराणा प्रताप की 11 रानियाँ थीं, जिनमें से अजबदे पंवार प्रमुख रानी थीं और उनके 17 पुत्रों में से अमर सिंह, महाराणा प्रताप के उत्तराधिकारी बने और मेवाड़ के 14वें महाराणा बने। 19 जनवरी 1597 को महाराणा प्रताप की मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि इस महाराणा की मृत्यु पर अकबर की आंखें भी नम हो गईं थीं।

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