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Navratri 2024: इस मंदिर में करें माता के नौ रूपों के दर्शन, दूर होती हैं सभी बाधाएं

• LAST UPDATED : April 9, 2024

India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़) Navratri 2024: देशभर में माता रानी के अनेकों मंदिर है। जहां दर्शन के लिए लाखों की संख्या में भक्त जाते है। हर मंदिर की अपनी अलग खासियत होती है। हर मंदिर में माता रानी अपने अलग अलग रूप में विराजमान है। वहीं एक मंदिर ऐसा भी है जहां माता रानी के 9 रूपों के दर्शन हो जाते है। इन माता रानी के 9 रूपों की एक साथ आरती होती है। आज के इस आर्टिकल में हम यही जानेंगे वो कौन सा मंदिर है।

दरअसल राजस्थान के बीकानेर में एक ऐसा मंदिर है जहां माता के नौ रूपों के दर्शन होते है। यहां पर माता रानी के 9 रूपों के दर्शन करने से भक्तों के भाग्य खिल जाते है। बीकानेर के सुजानदेसर स्थित काली माता मंदिर की. जहां माता के नौ रूप की प्रतिमा है. नवरात्रि में अब दो दिन ही बाकी है ऐसे में इस मंदिर में नवरात्रि में मेला भी भरता है. जहां भारी संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए आते है।

मंदिर करीब 25 साल पुराना है (Navratri 2024)

मिली जानकारी के मुताबिक, यह मंदिर करीब 25 साल पुराना है। कहा जाता है कि इस मंदिर में भक्त जो भी अपनी मनोकामना लेकर आते है वो पूरी होती है। इस मंदिर के द्वार सुबह 4.15 बजे खुलते है। रात 12 बजे तक मंदिर के द्वार बंद हो जाते है। इस मंदिर में काली माता की मूर्ती 11 फुट 3 इंच की है। बीकानेर में ऐसा पहला काली माता मंदिर है जिसकी हाइट 11 फुट है। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए दूर दूर से भक्त आते है।

तीन साल तक एक पुजारी ने की थी तपस्या (Navratri 2024)

इस मंदिर में माता की मूर्ति बनाने में डेढ़ साल का वक्त लगा था। पांच धातुओं को मिलाकर इस मूर्ती को बनाया गया था। हरियाणा के एक बाबा ने 25 साल पहले एक पैर पर तीन साल तक घोर तपस्या की थी। तपस्या के दौरान जब माता ने अपना स्थान मांगा तो बाबा ने यही स्थान माता रानी के नाम कर दिया । धीरे-धीरे इस मंदिर का स्वरूप बहुत बढ़ चुका है।

इस मंदिर में यह प्रतिमा विराजित काली माता मंदिर में सबसे पहले गणेश जी फिर नौ देवियों की प्रतिमा है इनमें शैल पुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंद, महागौरी, सिद्धि दात्री, सती, सरस्वती, हनुमानजी, सीताराम, लक्ष्मण, महादेव व राधकृष्ण की प्रतिमा लगी हुई है।

इस तहर है मां का स्वरूप

9 मूर्तियों की खासियत शैल पुत्री माता बैल पर विराजमान है। दो हाथ है जिनमे एक हाथ कमल, एक हाथ से आशीर्वाद दे रही है। वहीं ब्रह्मचारिणी माता के एक हाथ में कमंडल है तो वहीं दूसरे हाथ में माला है और चंद्रघंटा माता रानी शेव की सवारी पर विराजमान है। दो हाथ से आशीर्वाद, एक हाथ में कमल का फूल है तो एक हाथ में तलवार है। वहीं कुष्मांडा माता रानी कमल पर विराजमान है। उनके एक हाथ में शंख, एक हाथ में चक्र और एक हाथ में कमल का भल है।

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