Sunday, June 30, 2024
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फर्जी पट्टा आवंटन घोटाले में 7 को सजा, विधायक दिलावर सहित 21 बरी

भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय कोटा ने 23 साल पुराने मामले में तत्कालीन सरपंच, ग्राम सचिव, दो नाकेदारों और उनकी पत्नियों को दंडित किया है। जबकि इसी मामले में तत्कालीन बारां अटरू विधायक और वर्तमान में रामगंजमंडी के विधायक मदन दिलावर सहित 21 लोगों को दोषमुक्त किया है।

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इंडिया न्यूज़, कोटा।
Anti Corruption Court Kota : भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय कोटा ने 23 साल पुराने मामले में तत्कालीन सरपंच, ग्राम सचिव, दो नाकेदारों और उनकी पत्नियों को दंडित किया है। जबकि इसी मामले में तत्कालीन बारां अटरू विधायक और वर्तमान में रामगंजमंडी के विधायक मदन दिलावर सहित 21 लोगों को दोषमुक्त किया है। मामला 1998 में अटरू ग्राम पंचायत में चारागाह भूमि को आबादी में कन्वर्ट करवाने का है। जिसपर भूखंड काटकर नीलामी के जरिए विक्रय कर दिया था। ये फर्जी पट्टा आवंटन घोटाला था। इस मामले में एसीबी (ACB) ने जांच कर 30 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

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सहायक निदेशक अभियोजन अशोक कुमार जोशी (Ashok Kumar Joshi) ने बताया कि अटरू ग्राम पंचायत में 1998 में सरपंच बृजमोहन सोनी (Brijmohan Soni) ने दिगर पंचों के साथ मिलकर ग्राम पंचायत क्षेत्र के निवासियों के लिए आबादी भूमि की आवश्यकता बताई। इसके बाद सचिव राजेंद्र कुमार (Rajendra Kumar), नाकेदार जितेंद्र (Jitendra) और कस्तूरचंद (Kasturchand) के साथ मिलीभगत और आपराधिक षड्यंत्र के तहत भूखंड हड़पने की योजना बनाई।

कम दर पर भूखंड आवंटित कर पट्टे जारी कर दिए

ग्राम पंचायत की चरागाह भूमि को आबादी में कन्वर्ट करवाने का प्रस्ताव भेजा गया। जिस पर बारां कलेक्टर के आदेश पर भूमि आबादी में कन्वर्ट भी हुई। इसके बाद इनकी नीलामी की विज्ञप्ति निकाली गई। राजस्थान पंचायत राज नियमों की अवहेलना करते हुए 26 व्यक्तियों को डीएलसी मार्केट दर से कम दर पर भूखंड आवंटित कर पट्टे जारी कर दिए गए। इनमें से 4 लाभार्थी अनुसुइया (Anusuiya), गीता (Geeta), राम (Ram) और किरण (Kiran) इन चारों आरोपियों की पत्नियां थी।

23 साल बाद 30 में से 21 को दोषमुक्त

हालांकि इस प्रकरण में एसीबी (ACB) को शिकायत मिलने के बाद जांच हुई। इसमें विधायक मदन दिलावर सहित 30 आरोपियों के खिलाफ पद का दुरुपयोग, धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र के अपराध के तहत न्यायालय में चार्ज शीट पेश की गई। इस मामले की ट्रायल के दौरान किरण (Kiran) और रामदयाल (Ramdayal) का निधन हो गया। ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई ड्रॉप कर दी गई। जबकि सात आरोपियों को दंडित किया गया है। वहीं इस मामले में 21 को संदेह के तहत दोषमुक्त कर दिया गया।

90 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया

भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय कोटा के न्यायाधीश प्रमोद मलिक (Pramod Malik) ने अटरू के सरपंच बृजमोहन सोनी (Brijmohan Soni), सचिव राजेंद्र कुमार (Rajendra Kumar), नाकेदार जितेंद्र कुमार (Jitendra Kumar) और कस्तूरचंद (Kasturchand) को 5-5 साल की सजा सुनाई। इसके साथ ही 90 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। इसी तरह से भूखंड लाभार्थी अनुसुइया (Anusuiya), गीता (Geeta) और रमा देवी (Rama Devi) को 3- 3 साल की सजा और 30 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।

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