Thursday, July 4, 2024
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River Water Treaty: एमपी और राजस्थान के बीच नदियों के पानी को लेकर ऐतिहासिक समझौता

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India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), River Water Treaty: भोपाल में एक अहम कार्यक्रम में मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच नदियों के पानी के बंटवारे पर ऐतिहासिक समझौता हुआ। इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भाग लिया। दोनों मुख्यमंत्रियों ने चंबल, पार्वती, और कालीसिंध नदियों के पवित्र जल को कलश में समाहित कर इस समझौते की पवित्रता और महत्व को दर्शाया।

72 हजार करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी योजना

यह 72 हजार करोड़ रुपये की विशाल योजना है, जो दोनों राज्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस परियोजना से मध्य प्रदेश के मुरैना, ग्वालियर, श्योपुर, और राजगढ़ जैसे 13 जिलों में पेयजल और सिंचाई की सुविधाओं में अत्यधिक वृद्धि होगी। वहीं, राजस्थान में भी इस परियोजना से पेयजल और सिंचाई की समस्याएं हल होंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भावना के अनुरूप

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जल संसाधनों के सही उपयोग की भावना के अनुरूप है। इस परियोजना से पानी की एक-एक बूंद का सही उपयोग होगा, जिससे दोनों राज्यों में विकास की नई इबारत लिखी जाएगी।

पर्यावरण और पर्यटन में उन्नति

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि इस परियोजना से न केवल दोनों प्रदेशों की उन्नति होगी, बल्कि आपसी रिश्ते भी सुदृढ़ होंगे। उन्होंने कहा कि राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच पर्यटन के क्षेत्र में भी विकास की बड़ी संभावनाएं हैं। चंबल, श्योपुर और रणथंभोर में पर्यटन की संभावना अधिक है और इस परियोजना से पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी।

परियोजना की खासियत

इस परियोजना के अंतर्गत, पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदियों के जल का उपयोग मध्य प्रदेश में लगभग 4 लाख हेक्टेयर और राजस्थान में 2 लाख 80 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए किया जाएगा। मध्य प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि साल 2026 तक 65 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई हो।

वन्य-प्राणी संरक्षण और धार्मिक पर्यटन

सीएम भजनलाल ने यह भी कहा कि राजस्थान और मध्य प्रदेश के वन्य-प्राणियों के संरक्षण के लिए भी योजना बनाई जाएगी। इसके अलावा, खाटू श्याम से महाकाल तक कॉरिडोर बनाने के प्रयास होंगे, जिससे दोनों राज्यों में पर्यटक और श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी।

यह समझौता न केवल जल संसाधनों के सही उपयोग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि इससे दोनों राज्यों के बीच संबंध भी और मजबूत होंगे।

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