Friday, July 5, 2024
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Rajasthan News:आजादी के बाद पहला तिरंगा राजस्थान के दौसा से था, आज भी मुंबई में ही होती है तिरंगे के कपड़े की प्रोसेसिंग

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India News (इंडिया न्यूज़) Rajasthan News: आज देश को पूरे 76 साल हो गए है। इस बार हम आजादी का 77 वां स्वतंत्रता दिवस पर्व मनाने जा रहे है। हिन्दुस्तान की आजादी का प्रतिक हमारा राष्ट्रध्वज तिरंगा हमारी शान है। हमारी राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक है। लेकिन क्या आपको पता है कि प्राचीर पर स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री प.जवाहरलाल नेहरू ने जो तिरंगा फहराया था। वह दौसा जिले के आलूदा गांव का बना हुआ था। उस समय आलूदा गांव में रहने वाले सैकडों बुनकर परिवार महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर चरखा कातते थे। उन्हीं के चरखे से कात कर हाथों से तिरंगे ध्वज को रंगकर स्वतंत्रता सेनानी देशपाण्डे जी दिल्ली लेकर गए थे। आलूदा के अलावा जयपुर जिले के गोविन्दगढ़ से भी तिरंगा दिल्ली भेजा गया था। लेकिन बताया जाता है कि आजादी का पहला ध्वज दौसा का बना ही फहराया गया था।

प्रोसेसिंग के लिए आज भी तिरंगे का कपड़े को मुंबई भेजा जाता है

तिरंगे के कपड़े को बुनकर चौथमल द्वारा बनाने में करीब 2 माह लगे। इस कपड़े पर स्वतंत्रता सेनानी टाट साहब ने तिरंगा रंगा था। बताया जाता है कि देशपांडे की ओर से जो तिरंगे का कपड़ा दिल्ली ले जाया गया था, वह दौसा के आलूदा से था या जयपुर के गोविंदगढ़ से। ऐसे में इस बात की पुष्टि नहीं हुई है। बता दें कि आजादी के बाद वर्ष 1967 में दौसा खादी की स्थापना हुई। तब से लेकर आज तक तभी से दौसा के बनेठा और जसोदा में तिरंगे झंडे का कपड़ा तैयार किया जाता है। यहां के बाद वह कपड़ा प्रोसेसिंग के लिए मुंबई भेजा जाता है। इसके बाद फिर मुंबई से तिरंगा तैयार होने के बाद पुनः दौसा आता है और यहां से इसे बाजार में भिजवाया जाता है। तिरंगे के कपड़े को बनाने के बाद प्रोसेसिंग यूनिट भी दौसा में स्थापित करने के लिए अनेक प्रयास हुए लेकिन दौसा में फ्लोराइड युक्त पानी होने के कारण प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित नहीं हो सकी। ऐसे में आज भी तिरंगे का कपड़े को प्रोसेसिंग के लिए मुंबई भिजवाया जाता है।

 

 

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