Tuesday, July 2, 2024
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Karwa Chauth 2023: करवा चौथ पर जानें कांस सींक की मान्यता, घर लाएं ये पूजा सामग्री

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India News (इंडिया न्यूज), Karwa Chauth 2023: शादी-शुदा औरतों के लिए करवा चौथ व्रत बहुत ही खास होता है। इस साल यह 1 नवंबर 2023, बुधवार मनाया जाएगा। करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के अखंड प्रेम, सम्मान और त्याग की चेतना का प्रतीक माना जाता है। यह व्रत दांपत्य जीवन में अपार खुशियां लेकर आता है। करवा चौथ के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए सुबह से लेकर रात तक अन्न-जल का त्याग कर व्रत रहती हैं।

इस करवा चौथ व्रत में शाम को 16 श्रृंगार कर करवा माता की पूजा की जाती है और फिर रात में चंद्र को अर्घ्य देकर पति के हाथों जल को पिया जाता है। विवाहिता के लिए ये व्रत बहुत खास माना जाता है ऐसे में पूजा-व्रत के समय किसी चीज की कमी न हो इसलिए इसके लिए अभी से करवा चौथ व्रत की सामग्री जुटा लें।

करवा चौथ की पूजा सामग्री

  • करवा चौथ की पूजा के लिए टोटीवाला करवा (मिट्‌टी या तांबे का ढक्कन वाला करवा) और कलश,रोली, मौली, अक्षत,
  • पान, कुमकुम, व्रत कथा की पुस्तक, दही, शक्कर का बूरा,चंदन, फूल, हल्दी, चावल, मिठाई
    देसी घी, इत्र, नारियल, अबीर, गुलाल, जनेऊ जोड़ा, शहद, दक्षिणा, कच्चा दूध।
  • इसके साथ ही छलनी, कपूर, गेहूं, बाती (रूई), करवा माता की तस्वीर, दीपक, अगरबत्ती, लकड़ी का आसन, हलुआ, आठ पूरियों की अठावरी।
  • सरगी – 16 श्रृंगार की सभी समाग्री, ड्रायफ्रूट्स, फल, मिष्ठान।
  • 16 श्रृंगार का सामान – कुमकुम, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, चुनरी, बिंदी, चूड़ी, काजल, बिछुआ,काली पोतकरवा चौथ में करवा, छलनी, दीपक, सींक का महत्व।
  • करवा – करवा को गणपति का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि, करवे में लगी टोटी गणेश जी की सूंड मानी जाती है। करवा में जल भरकर पूजा करने और चंद्रमा को अर्घ्य देने से मंगल कामनाएं पूर्ण होती है।
  • दीपक – बता दें कि, करवा चौथ व्रत के दिन स्त्रियां छलनी में दीपक रखकर चांद और फिर उसके बाद पति का चेहरा देखती है। शास्त्रों के मुताबिक दीपक जलाने से नकारात्मकता दूर होती है, एकाग्रता बढ़ती है।

क्या है कांस की सींक की मान्यता?

कांस की सींक को करवे की टोटी में डालने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। मान्यता है कि यह सींक शक्ति का प्रदर्शन करती है। कथा के अनुसार, करवा के पति का पैर मगरमच्छ ने पकड़ लिया था तभी उसी समय उन्होंने अपनी शक्ति से इन्हीं सींकों का इस्तेमाल करके मगर को बांध दिया था और यमराज के पास पहुंच गयीं। उस समय चित्रगुप्त करवा माता के जीवन का लेखा जोखा देख रहे थे। तभी करवा ने सींकों से चित्रगुप्त के पन्नों से पति के प्रसंग को अलग कर दिया था और यम से पति के प्राणों की रक्षा की कामना की।

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