India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Jaisalmer: सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम भारत के दौरे पर हैं। बुधवार को उन्हें राजस्थान के जैसलमेर के किलों, स्मारकों और सड़कों पर घूमते देखा गया। राष्ट्रपति के साथ आए कई विदेशी मेहमानों ने पटवा हवेली का भी दौरा किया. अगर किसी देश का राष्ट्रपति बिना बुलेटप्रूफ गाड़ी और न्यूनतम सुरक्षा के शहर की सड़कों पर पैदल या ऑटो में घूमता दिखे तो आश्चर्य होता है.
राष्ट्रपति थुरमन को भी दुकानों पर खरीदारी करते देखा गया। सिंगापुर के राष्ट्रपति की सादगी और चलने की आदत की चर्चा पूरे शहर में है। लोग कह रहे हैं कि काश हमारे देश में भी ऐसा कुछ हो. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को सादगी और बिना किसी तामझाम के ऐसी यात्रा पर निकलना चाहिए.
इससे पहले राष्ट्रपति थरमन अपने परिवार के साथ कड़ी सुरक्षा के बीच 870 साल पुराने प्राचीन शहर जैसलमेर की सड़कों पर घूमे, पूरे शहर को देखा और आम लोगों से बातचीत की. यहां उन्होंने पारंपरिक हस्तशिल्प वस्तुएं खरीदीं। इसके अलावा वह यहां की वास्तुकला और कारीगरी से बेहद प्रभावित हुए। देर शाम रेतीले मैदानों में ऊंट की सवारी की और राजस्थानी लोक संगीत और नृत्य का लुत्फ उठाया.
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राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम भी जैसलमेर के विश्व प्रसिद्ध सोनार किले पहुंचे. यहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे, लेकिन राष्ट्रपति ने अपनी कार छोड़कर पैदल भ्रमण का फैसला किया और जैसलमेर के किलों और हवेलियों की संस्कृति से रूबरू हुए.
इसके बाद वह पैदल ही शहर की सड़कों पर निकल पड़े। वे यहां की सड़कों और मोहल्लों में घूमे और शिल्प कौशल और सुंदरता का आनंद लिया। राष्ट्रपति थरमन अपने परिवार के साथ पटवा हवेली, चिड़िया हवेली और मुख्य बाजार से होते हुए भाटिया मार्केट पहुंचे, जहां उन्होंने कई दुकानों का दौरा किया और पारंपरिक हस्तशिल्प वस्तुएं, बेडशीट और दीवार पर लटकने वाली साड़ियां खरीदीं। वह कढ़ाई वाले उत्पादों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने लिए पुरानी साड़ियों से बनी बेडशीट और वॉल हैंगिंग भी खरीद लीं।
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गौरतलब है कि देश में वीवीआईपी दौरे के कारण आम जनता को घंटों ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ता है, लेकिन सिंगापुर के राष्ट्रपति ने जैसलमेर में एक अलग संदेश दिया है. उनकी नजर में सभी लोग बराबर हैं, कोई किसी से बड़ा नहीं है. हालांकि, राष्ट्रपति के जैसलमेर दौरे को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था चौकस नजर आई, शायद वह चाहते थे कि उनके दौरे के दौरान जैसलमेर के लोगों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े.
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