India News (इंडिया न्यूज़) Rajasthan Om Shape Temple: अयोध्या के बाद राजस्थान के पाली के जाडन आश्रम में 250 एकड़ में करीब 28 साल से बन रहा ओम आकार का मंदिर बनकर तैयार हो गया है।
राजस्थान के पाली जिले के जाडन आश्रम में आधारशिला रखे जाने के करीब तीन दशक बाद ‘ओम’ आकार में भगवान शिव का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो गया है। यह विश्व का पहला ॐ आकार का शिव मंदिर होगा। ओम आकार के इस मंदिर में भगवान शिव के अभिषेक समारोह की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं।
ओम के आकार में बने इस शिव मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का दिन और तारीख तय की गई है। यह कार्यक्रम 10 फरवरी से 19 फरवरी 2024 तक चलेगा। 19 फरवरी को इस भव्य मंदिर में भगवान शिव की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। जड़न आश्रम के ओम आकृति मंदिर के स्वामी महेश्वरानंद महाराज का दावा है कि पूरे विश्व में यह ओम आकृति का पहला मंदिर है।
स्वामी महेश्वरानंद महाराज ने बताया कि जाडन में संपन्न हुए ओम आकृति मंदिर के कार्यक्रम में देशभर से तमाम साधु-संत आएंगे। इसके साथ ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ, राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा, मध्य प्रदेश के सीएम मोहनलाल यादव और राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी समेत कई अन्य मेहमान भी शामिल होंगे। इस कार्यक्रम में विदेशी मेहमान भी आएंगे।
जाडन आश्रम के प्रवक्ता स्वामी फूल पुरी ने बताया कि पाली जिले के जाडन आश्रम में ओम आकार के भव्य एवं आकर्षक दिखने वाले मंदिर की आधारशिला वर्ष 1995 में रखी गई थी। ओम आकृति के भव्य मंदिर में बाबा भोलेनाथ के अभिषेक के दौरान धर्मसभा भी होगी।
स्वामी महेश्वरानंद कहते हैं कि सृष्टि के रचयिता कहे जाने वाले त्रिमूर्ति (ब्रह्मा विष्णु महेश) को ओम (ओम-नाद-ब्रह्मा) का प्रतीक माना जाता है। भारत की धरती पर ॐ का निराकार भव्य मंदिर बना हुआ है। ओम आकार के इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ की 1008 मूर्तियां स्थापित की जाएंगी, जिसमें आपको 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन होंगे। इस मंदिर का शिखर 135 फीट ऊंचा है। मंदिर परिसर में 108 कमरे बनाये गये हैं। पूरा मंदिर परिसर 2000 खंभों पर बना है।
मंदिर के निर्माण में 400 से अधिक लोग लगे हुए हैं। ओम आकृति मंदिर के मध्य में गुरु माधवानंद की समाधि बनाई गई है। ऊपरी भाग में स्फटिक का एक शिवलिंग स्थापित कर एक मन्दिर बनाया गया है।
मंदिर के ऊपरी हिस्से में ब्रह्मांड जैसी आकृति दिखाई देती है। इस मंदिर के निर्माण के लिए धौलपुर की बांसी पहाड़ी से पत्थर लाया गया था। इस मंदिर परिसर के नीचे दो लाख टन का एक टैंक भी बनाया गया है।
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