India News (इंडिया न्यूज़),Mahashivratri 2024: जयपुर अपनी कई ऐतिहासिक और खूबसूरत इमारतों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। खूबसूरत हवा महल, सिटी पैलेस और जंतर मंतर पर साल भर पर्यटक आते हैं। इसके साथ ही गुलाबी नगरी में कई प्राचीन और भव्य मंदिर भी हैं। उन्हीं मंदिरों में से एक है यहां स्थित ताड़केश्वर मंदिर। हर साल महाशिवरात्रि और सावन महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। आइये जानते हैं जयपुर के इस शिव मंदिर का इतिहास। यह ऐतिहासिक एवं प्राचीन मंदिर महादेव को समर्पित है। यहां आपको राजस्थानी स्थापत्य संस्कृति की झलक मिलेगी। आप यहां आराम से अपने परिवार के साथ आकर महादेव के दर्शन कर सकते हैं।
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कहा जाता है कि इस मंदिर के स्थआन में ताड़ के पेड़ हुआ करते थे। एक बार ऐसा हुआ कि अंबिकेश्वर महादेव मंदिर के व्यास सांगानेर जाते समय कुछ समय के लिए यहां रुके थे। वह यहां सबसे पहले शिवलिंग के दर्शन करने वाले इंसान थे।
इस मंदिर का निर्माण इस शहर की स्थापना के साथ ही किया गया था। सबसे पहले यहां एक छोटा स्वयंभू मंदिर बनाया गया था, जिसके बाद जयपुर रियासत के वास्तुकार विद्याधर ने इस मंदिर को तैयार किया।
कहा जाता है कि मंदिर में स्थित शिवलिंग स्वयंभू है, यानी इसकी स्थापना किसी ने नहीं की है। ताड़केश्वर महादेव मंदिर को पहले ताड़कनाथ के नाम से जाना जाता था। जयपुर के लोगों की इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था है। यहां के लोगों का मानना है कि यहां मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है।
आमेर के महाराजा जय सिंह द्वितीय ने वर्ष 1727 में जयपुर की स्थापना की थी। उन्हीं के नाम पर इस शहर का नाम जयपुर रखा गया। कहा जाता है कि इसकी स्थापना से पहले ही यहां पर शिवलिंग स्थापित था।
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आप इस मंदिर के दर्शन बहुत आसानी से कर सकते हैं। यहां आप हवाई, सड़क और रेल मार्ग से भी मंदिर तक पहुंच सकते हैं। आप सांगानेर हवाई अड्डे से कैब बुक कर सकते हैं या यहां चलने वाली सिटी बसें या लो फ्लोर बसें ले सकते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए आप जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन से कैब या टैक्सी भी बुक कर सकते हैं। यहां सड़क मार्ग से भी आसानी से आया जा सकता है।
आप जयपुर बस स्टैंड से मंदिर के लिए कैब ले सकते हैं। ताड़केश्वर मंदिर जयपुर शहर के चौड़ा रास्ता में एक बाजार के बीच में स्थापित है। इस मंदिर की यहां बहुत मान्यता है। महाशिवरात्रि और सावन माह में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। यहां दूर-दूर से लोग अपने परिवार के साथ घूमने आते हैं।
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