Sunday, July 7, 2024
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कांग्रेस मंत्री का फैसला- सभी मंदिरों में फहराया जाएगा पीला झंडा, गोविन्द देवजी मंदिर को उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर किया जाएगा विकसित

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India News (इंडिया न्यूज़),Jaipur News: राजस्थान में विधानसभा चुनाव का समय पास आता जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस सरकार पूरी तरह अपना मन बना चुकी हा कु इस बार भी राज्य में उन्ही की सरकार रिपीट होगी। इसी कारण कांग्रेस कार्यकर्ता लगातार राज्य की जनता को सुभाने की कोशिश में लगी हुई है। इस बीच अशोक गहलोत सरकार में देवस्थान मंत्री शुकंतला रावत ने एक फैसला लिया।

बता दे कि इस चुनावी साल में कांग्रेस सरकार ‘सेवा परमो धर्म’ के माध्यम से धर्म के रास्ते पर चलकर लोगों को लुभा रही है। सरकार के देवस्थान विभाग ने आज गुरु- पुष्य संयोग पर सभी मंदिरों में पीली पताका फहराया और कामना की गई सरकार का परचम भी इसी तरह से लहरता रहे।

गहलोत सरकार में देवस्थान मंत्री ने मंदिर में किया पत्रकार सम्मेलन

अशोक गहलोत सरकार में देवस्थान मंत्री शुकंतला रावत ने एक मंदिर में पत्रकार सम्मेलन की और कहा कि गहलोत सरकार सेवा परमो धर्म के उद्देश्य से काम कर रही हैं। प्रदेश में कुल 593 सरकारी मंदिर हैं। जिनका अब रंग रोगन होगा और इसके साथ ही मंदिरों पर पीला झंडा भी लगाया जाएगा। जिसपर ऊं लिखा होगा। बता दें कि ये पीला रंग गुरु को समर्पण है और ओम खुद में ही शक्ति का प्रतीक है।

जयपुर कल्कि मंदिर से की गई शुरूआत

जिसकी शुरुआत जयपुर परकोटे में बड़ी चौपड़ स्थित कल्कि मंदिर से की गई है। इस खास मौके पर कई मंदिरों के पुजारी, भक्त और कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद रहे। मंत्री रावत ने आगे ये भी कहा कि कांग्रेस सभी धर्मों के प्रति आस्था रखती है। जबकि हिंदुत्व की बात करने वाली बीजेपी देश में नफरत की राजनीति करती है।

प्रदेश में देवस्थान विभाग के कुल 593 मंदिर हैं

बता दें कि प्रदेश में देवस्थान विभाग के कुल 593 मंदिर हैं। इन मंदिरों को नए रंग करने के लिए प्रति मंदिर को एक-एक लाख रूपये भी दिए गए हैं। सभी मंदिरों के रंग करने के लिए कुल 593 लाख रुपए खर्च किये जाएंगे।

पुजारियों के मानदेय 3 से 5 हजार रुपए कर दिए गये

मंदिर के पुजारियों के मानदेय भी 3 हजार से बढाकर 5 हजार रुपए तक कर दिए गये हैं। मंत्री रावत ने कहा कि सरकार ने मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए बजट में विशेष प्रावधान किये गये हैं। जयपुर के गोविन्द देवजी मंदिर को उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर विकसित होना है।

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