India News (इंडिया न्यूज़), Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस की हार के बाद अब पार्टी में व्यापक दलाव होने की बात सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि एक बार फिर प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी युवा नेता सचिन पायलट को देने की आशंका थी। परंतु इन अफवाहों पर पूर्णविराम लगा दिया गया है। सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी महासचिव बनाया गया है। जिस कारण कांग्रेस हाईकमान पायलट को अब ना तो प्रदेशाध्यक्ष तथा ना ही नेता प्रतिपक्ष बनाया जाएगा। जिस वजह से अब पायलट राजस्थान में इन दोनों ही प्रमुख पदों की रेस से दूर हो गए है।
सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी महासचिव बनाया गया है। इसके बाद राजनीतिक गलियारों में एक ही चर्चा चल रही है कि क्या कांग्रेस नेतृत्व द्वारा जानबूझकर पायलट को राजस्थान से दूर भेजा गया है? इन चर्चाओं के पीछे की वजह प्रदेश में पिछले 4 साल से चल रही अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच के सियासी युद्ध है। अरुण प्रत्यारोपण के चलते धरने प्रदर्शन पर भी गए थे। गहलोत सरकार के गिरने की नौबत आई थी। अब ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व किसी ऐसे नेता को कमान नहीं देना चाहते जो गुटबाजी में शामिल रहा हो। किसी के साथ पायलट पर गहलोत गुटके कई नेताओं ने आरोपी भी लगाए हैं। वे उनके नेतृत्व कुछ स्वीकार नहीं करने ऐलान भी कर चुके हैं। इसी कारण कांग्रेस हाई कमान अब बाकी नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपने वाली है।
कांग्रेस द्वारा एक व्यक्ति एक पद का फार्मूला लागू किया गया है। छत्तीसगढ़ का प्रभारी महासचिव बनने पर पायलट की प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बनने की संभावनाएं खत्म हो चुकी है। क्यों नहीं है सभी मैच को पूर्ण पद है इसलिए एक नेता की नियुक्ति दो पदों पर नहीं की जा सकती। अब आने वाले लोकसभा चावन तक पायलट का पूरा फोकस छत्तीसगढ़ पर ही रहेगा। 2024 के लोकसभा चुनाव अप्रैल या मैं के महीने में होंगे। ऐसे में 5 महीना तक सचिन पायलट को राजस्थान दूर रहना पड़ेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले भी प्रदेश अध्यक्ष बनने से इनकार कर चुके हैं। कांग्रेस हाई कमान द्वारा गहलोत को भी नेशनल अलायंस समिति में शामिल किया गया है। केंद्र से यह बड़ी जिम्मेदारी मिलने के बाद अब गहलोत भी दिल्ली में व्यस्त रहने वाले हैं। गहलोत एवं पायलट दोनों को राजस्थान से बाहर के जिम्मेदारियां दिए जाने पर राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दिया जाने का फैसला लिया गया है।
प्रदेश अध्यक्ष कर नेता प्रतिपक्ष के लिए कांग्रेस में कई नेताओं के नाम उभर कर आ रहे हैं। कांग्रेस नेतृत्व को प्रदेश अध्यक्ष के लिए ऐसे नेता की जरूरत है जो अशोक गहलोत और सचिन पायलट की टक्कर का हो एवं उनका विरोधी नहीं हो। किसी के साथ वह नेता गुटबाजी से दूर रहा हो। उन्हें कैसे नेट की तलाश है जो प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर सब कुछ साथ लेकर चल सके। नीता प्रतिपक्ष के लिए वरिष्ठ नेता शांति धारीवाल डॉ रघु शर्मा तथा हरीश चौधरी जैसे नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं।
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