India News Rajasthan (इंडिया न्यूज), High Court: दिल्ली हाई कोर्ट में एक महिला ने क्रूरता के आधार पर तलाक लेने के लिए अर्जी लगाई थी। हालांकि अदालत ने महिला की ओर से लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पति द्वारा पत्नी से घरेलू काम करने की अपेक्षा करना क्रूरता नहीं कहा जा सकता।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने कहा कि एक विवाहित महिला से घरेलू काम करने को गृहिणी के काम के बराबर नहीं किया जा सकता क्योंकि इसे उसके परिवार के प्रति उसके प्यार और स्नेह के रूप में गिना जाएगा। अदालत ने यह भी कहा कि शादी में इरादा भविष्य की जिम्मेदारियों को साझा करने का होता है और अगर पति अपनी पत्नी से घरेलू काम करने की उम्मीद करता है तो इसमें कोई क्रूरता नहीं है।
CISF सदस्य, पति ने कहा कि वह अपनी पत्नी द्वारा घर के कामों में योगदान न देने, उसके वैवाहिक घर को छोड़ने और उसके कहने पर आपराधिक मामलों में झूठे फंसाने से दुखी था। उसने यह भी दावा किया कि उसकी पत्नी और उसके परिवार ने इस बात पर जोर दिया कि वह अपने परिवार से अलग रहे। इस पर अदालत ने कहा कि पति को अपने परिवार से अलग रहने के लिए कहना उसकी पत्नी द्वारा क्रूरता के समान है।
फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा, इस अदालत की सुविचारित राय है कि अपीलकर्ता को प्रतिवादी-पत्नी के हाथों क्रूरता का शिकार होना पड़ा है। 25.11.2019 के आक्षेपित फैसले को रद्द किया जाता है और अपीलकर्ता को हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1) (आईए) के तहत तलाक दिया जाता है।
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