India News (इंडिया न्यूज़) Ram Mandir: 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर न सिर्फ अयोध्या नगरी में बल्कि देश-विदेश में तैयारियां चल रही हैं। इसी बीच राम मंदिर में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति की पहली तस्वीर सामने आ गई है। सामने आई तस्वीरों के अनुसार, पालकी में विराजित रामलला को मंदिर परिसर में भ्रमण कराया गया है। हालांकि, यह असली मूर्ति नहीं है जो गर्भगृह में स्थापित होगी और न ही इस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसे प्रतीकात्मक मूर्ति बताया जा रहा है जिसका आज मंदिर परिसर में भ्रमण करवाया गया है।
ऐसा कहा जाता है कि प्रभु श्री राम का नाम कलियुग में हर प्रकार के सुखों को प्रदान करने वाला और हर दुखों और कष्टों को हरण करना वाला है। राम नाम की महिमा को शब्दों में समेट पाना मुश्किल है। ऐसे में क्या प्रभु के नाम का अर्थ जानते हैं। अगर नहीं तो इस रिपोर्ट को पढ़िए !
रामायण की बात करे तो हनुमान जी ने समय समय पर राम नाम की महत्ता बताई है। उनके अनुसार, प्रभु श्री राम के नाम के प्रभाव से पत्थर भी पानी पर तैरने लग जाता है। वहीँ, आज के समय को ध्यान रखते हुए तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में, इन शब्दों के साथ प्रभु राम के नाम की महिमा बताई है।
कलियुग सम जुग आन नहीं जौं कर विश्वास।
गाइ राम गुन गन बिमल भव तर बिनहिं प्रयास।।
इस दोहें में तुलसीदास ने इस युग में प्रभु राम के नाम को व्यक्ति के लिए अमृत सामान माना है। प्रभु राम के नाम लेने मात्रा से व्यक्ति इस संसार रुपी भवसागर को आसानी से पार कर सकता हैं।
रमन्ते योगिन: यस्मिन् राम:
इसका अर्थ ये हैं की ‘राम’ ही मात्र एक ऐसे विषय हैं, जो योगियों की आध्यात्मिक-मानसिक भूख हैं, भोजन हैं, हर्ष, आनन्द और उल्लास के मूल स्त्रोत हैं।
ब्रह्मवैवर्त पुराण को सबसे प्राचीनतम पुराण माना जाता हैं। राधा रानी कहती हैं –
राशब्दो विश्ववचनो मश्चापीश्वरवाचक:।
विश्वानामीश्वरो यो हि तेन राम: प्रकीर्तत:।।
यानि ” रा ” शब्द विश्ववाचक है और “म ” शब्द ईश्वरवाचक है, इसलिए जो विश्व का ईश्वर है , उसे ” राम ” कहा जाता है।
इसके अलावा अग्नि पुराण , शिव पुराण , विष्णु पुराण, पद्म पुराण , स्कंद पुराण एवं भागवत पुराण आदि में राम जी की महिमा का वर्णन है ।
रामरहस्योपनिषद के अनुसार, सभी पुराण, शास्त्रों,चारों विद्याओं और आध्यात्मिक दर्शन का मूल तत्व प्रभु श्रीराम को माना गया है। इस नाम का प्रताप इतना विशाल हैं की बाल्मीकि जी उल्टा राम नाम (मरा- मरा) जप कर भी पवित्र हो गए।