पूजा शुरू करने से पहले बोले जाने वाले मंन्त्रों का क्या है महत्व- प्रेमानंद महाराज ने बताया
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किसी भी पूजा को शुरू करने से पहले पंडित जी यजमान पर पानी छिड़कते हैं। लोग सोचते हैं कि उन पर पानी इसलिए छिड़का जा रहा है
क्योंकि वे अपवित्र हैं, इस पर प्रेमानंद महाराज ने लोगों का भ्रम दूर करने के लिए मंत्र का महत्व समझाया है.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, जल छिड़कते समय पंडित जी एक मंत्र का जाप भी करते हैं, जिसका मतलब कुछ और होता है, लोग कुछ और समझते हैं.
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि पंडित जी को पूजा शुरू करने से पहले ओम अपवित्रः पवित्रो वा सर्वस्थं गतोपि वा का जाप करना चाहिए. य स्मरेत् पुण्डरीकाक्षम् स बाह्यब्यन्तरः शुचिः॥ मंत्र का जाप करें.
लोग गलत समझते हैं
प्रेमानंद महाराज के अनुसार ॐ अपवित्रः पवित्रो वा का अर्थ है- 'पूजा में बैठा यजमान शुद्ध है या अशुद्ध।'
किस मंत्र का जाप किया जाता है?
प्रेमानंद महाराज ने बताया कि मंत्र में सर्वावस्थाम गतोपि वा का अर्थ है कि साधक किसी भी स्थिति में हो।
प्रेमानंद महाराज नेबताया
प्रेमानंद महाराज ने बताया कि मंत्र में उच्चारित यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षम् का अर्थ है, जो भी भक्त भगवान श्रीहरि का स्मरण करता है।
साधक की स्थिति
प्रेमानंद महाराज ने बताया कि इस मंत्र में सा बाह्याभ्यांतर शुचिः का अर्थ है, व्यक्ति बाहर और अंदर से शुद्ध हो जाता है।