1994 साल में देश में भयानक नरसंहार हुआ।

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जोकि अफ्रीका के देश रवांडा के लिए भयानक साल रहा।

जिसमें 100 दिन के अंदर 8 लाख लोगों की मौत हो गई थी। इस नरसंहार को  तीन दशक हो गए है। 

दो जाति हुतू और तुत्सी के बीच तनाव के चलते ये नरसंहार हुआ था। वैसे तो साल 1994 से ही दोनों के बीच विवाद चल रहा था।

 लंबे समय से तुत्सी का देश पर दबदबा रहा था। 

जिसके बाद 1959 में, जैसे ही पूरे अफ्रीका में स्वतंत्रता आंदोलन शुरू हुआ।

हूतू ने तुत्सी के खिलाफ विरोध करना शुरू कर दिया था। 

इस नरसंहार में फंसे 1 लाख लोगों ने बचने के लिए  युगांडा समेत दूसरे पड़ोसी मुल्कों में शरण ली।

साल 1993 में शांति समझौते के साथ ये लड़ाई खत्म हो गई।

लेकिन 6 अप्रैल  1994 की रात  रवांडा की राजधानी में इनके  विमान को  रवांडा में गिरा दिया गया था। 

इसमे सवार सभी लोग मारे गए,और यहीं से इस भयानक नरसंहार की शुरुआत होती है।

हत्याएं 100 दिन बाद 4 जुलाई को तब रुकी जब आरपीएफ ने, किगाली पर कब्जा कर लिया।