सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय(MoRTH) की ओर से टोल संचालन में सुधार करने के लिए कोशिश की जा रही है
इसके लिए NHAI ने भारत में GNSS-बेस्ड इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम डेवलप करने के लिए इनोवेटिव कंपनियों से ग्लोबल EOI आमंत्रित किए हैं
NHAI का लक्ष्य GNSS-Based ETC सिस्टम को मौजूदा FASTag स्ट्रक्चर में इंटीग्रेट करना है
आइए यह समझने की कोशिश करते हैं कि ये कैसे काम करेगा और मौजूदा फास्टैग सिस्टम से कितना अलग है?
FAStag में RFID (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस) तकनीक का उपयोग किया जाता है
इस प्रोसेस में व्हीकल की विंडशील्ड पर एक एम्बेडेड चिप वाला स्टिकर लगाया जाता है, और टोल बूथों पर स्कैनर होते हैं
फास्टैग के लिए RFID स्कैनर से लैस टोल बूथों पर रुकना पड़ता है, हालांकि, टोल प्लाजा पर Fastag लेन कैशलेस होती हैं, फिर भी पीक ऑवर्स के दौरान लंबी लाइनें लग जाती हैं
सैटेलाइट टोलिंग या जीएनएसएस तकनीक में हाईवे पर वर्चुअल टोल बूथ यूनिट इंस्टॉल किए जाएंगे, जो सैटेलाइट से कम्युनिकेट करते हैं। इस तकनीक से वाहनों को ट्रैक करके टोल कटौती के लिए यात्रा की गई दूरी की गणना की जा सके
सैटेलाइट टोलिंग अधिक पेमेंट फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करती है, क्योंकि यह यात्रा की गई दूरी के आधार पर प्रीपेड अकाउंट और पोस्टपेड बिलिंग दोनों का समर्थन कर सकती है