Tuesday, July 2, 2024
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Bhoot Chaturdashi 2023: दीवाली के पूर्व मनाई जाती है भूत चतुर्दशी, जानें तिथि और कारण

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India News(इंडिया न्यूज़), Bhoot Chaturdashi 2023:  दिवाली के उत्सव के दौरान धनतेरस नरक चतुर्दशी लक्ष्मी पूजन गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे त्यौहार मनाया जाते हैं। परंतु इस दौरान पश्चिम बंगाल में एक और पर मनाया जाता है जिसे हम भूत चतुर्दशी कहते हैं।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भूत चतुर्दशी कब पर्व मनाया जाता है। इसे नरक चतुर्दशी छोटे दिवाली और काली चौदस भी कहते हैं। भूत चतुर्दशी दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है।

भूत चतुर्दशी की तारीख

भूत चतुर्दशी इस बार 11 नवंबर 2023 को है। शास्त्रों के मुताबिक भूत चतुर्दशी के दिन रात को तांत्रिक पूजा की जाती है। कई अघोरी एक साथ पूजा और अनुष्ठान करके इस दिन भूत उत्सव मनाते हैं। माना गया है कि भूत चतुर्दशी के दिन एक परिवार के 14 पूर्वज अपने जीवित रिश्तेदारों से मिलने के लिए घर आते हैं।

भूत चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है

भूत चतुर्दशी के नाम से पता चलता है कि यह पर भूत प्रेत आत्माओं से संबंधित है। भूत चतुर्दशी के दिन शाम के बाद यहां तांत्रिक क्रियो के लिए तांत्रिकों और अघोरियों का जमावड़ा लगता है। कहा जाता है कि तंत्र साधना से तांत्रिक भूतों को बुलाते हैं और इसी वजह से इस संपूर्ण क्रिया को भूत उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसे अपने पूर्वजों की 14 पीडिया के सम्मान की परंपरा भी कहते हैं। भूत चतुर्दशी की रात 14 दिए पूर्वजों के नाम जलाए जाते हैं। माना जाता है कि इस रात बुरी शक्तियों अधिक हावी होती हैं और इन बुरी शक्तियों को दूर रखने के लिए 14 दीपों को जलाया जाता है।

कैसे बनाते हैं भूत चतुर्दशी

भूत चतुर्दशी को भारत के विभिन्न राज्यों में विभेद तरीके से मनाया जाता है। इस दिन हम यह के नाम के दीपक जलते हैं। देश में ऐसे कई जगह है जहां अघोरी तांत्रिक क्रियाएं की जाती है। पश्चिम बंगाल में इस पर्व पर काली मां की पूजा होती है तंत्र शास्त्र के साधन भी महाकाली की साधना को सर्वाधिक प्रभावशाली मानते हैं। बुरी आत्माओं के साइन से मुक्ति के लिए काली मां की पूजा अचूक मानी गई है।

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