जयपुर: (construction work of ram temple) रामजन्मभूमि परिसर में अभी निर्माणा कार्य बचा हुआ है। जैसे दरवाजे, खिड़की व चौखट और यह लकड़ी का कार्य है। जिसके लिए हैदराबाद एवं राजस्थान में लकड़ियों की नक्काशी का काम किया जाएगा। अगर दरवाजो की बात की जाए तो, राममंदिर में 161 फीट ऊंचे, 42 दरवाजे लगाए जाने हैं।
दरवाजे, खिड़की व चौखट के लिए महाराष्ट्र के टीक वुड यानी सागौन की लकड़ियां प्रयोग की जाएंगी। महाराष्ट्र में लकड़ियों की कटाई के बाद इन्हें सुखाने के लिए नागपुर भेजा जाएगा। इसके बाद हैदराबाद व राजस्थान में इनकी नक्काशी होगी। इसका मतलब है कि इन लकडी के दरवाजो पर डिजाईन किया जाएगा। नक्काशी के बाद तैयार खिड़की-दरवाजे अयोध्या लाए जाएंगे।
विशेषज्ञों के मुताबिक राममंदिर के लिए यह लकड़ियां इसलिए प्रयोग की जा रही है क्योकि आमतौर पर सागौन की लकड़ियों में 20 से 30 फीसदी तक की नमी होती है। यह लकड़ी लंबे समय तक टिकाऊ बनाने के लिए नमी को 10 फीसदी तक लाना जरूरी होता है। जानकारी के अनुसार 1855 क्यूबिक फीट सागौन की लकड़ी की पहली खेप जल्द ही समस्त प्रक्रियाओं के बाद सीधे अयोध्या पहुंचेगी।
राममंदिर के भूतल यानी गर्भगृह का काम अब अंतिम चरण में पहुंच रहा है। अभी पत्थरों पर मेहराब (आर्च) बनाने का काम चल रहा है। अगले महीने से रामलला के घर की छत ढालने का काम शुरू हो जाएगा। राममंदिर के गर्भगृह का परिक्रमा पथ भी बन चुका है। मेहराब वास्तुकला का एक शानदार काम है जो किसी भी संरचना में लालित्य और सुंदरता जोड़ सकता है।
फिलहाल मंदिर के प्रवेश द्वार से लेकर कई स्थानों पर मेहराब बनाने का काम चल रहा है। राममंदिर के बीम के भी सभी स्तंभ तैयार हैं। इसी माह यह काम पूरा होने की संभावना है। मई से राममंदिर की छत ढालने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। राममंदिर में दो परिक्रमा पथ बनाए जा रहे हैं जिसमें से गर्भगृह का परिक्रमा पथ बन चुका है। गर्भगृह की परिक्रमा केवल पुजारी ही कर पाएंगे।
मंदिर परिसर के परिक्रमा पथ का काम अंतिम चरण में है। यह परिक्रमा पथ कीर्तन मंडप से शुरू होकर भजन मंडप तक है। मंदिर का सिंहद्वार पहला प्रवेश द्वार होगा। प्रवेश द्वार की 32 सीढ़िया भी लगभग बनकर तैयार हो चुकी हैं। मंदिर का गृह मंडप भी बनकर तैयार है। गृहमंडप का द्वार मकराना के मार्बल से बनाया गया है। ऊपरी दीवारों पर मार्बल लगाने का काम चल रहा है।
राममंदिर के गर्भगृह का कपाट (दरवाजा) महाराष्ट्र की सागौन की लकड़ियों से बनेगा। महाराष्ट्र में सागौन की लकड़ियों की कटाई का काम चल रहा है। जल्द ही पहली खेप अयोध्या पहुंच जाएगी। गर्भगृह का कपाट 9 फीट ऊंचा और 12 फीट चौड़ा होगा। दरवाजे सोने से मंडित होंगे। मूल गर्भगृह में श्रद्धालु नहीं जा पाएंगे, सिर्फ पुजारी, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ही जाने की अनुमति होगी।
राममंदिर के भूतल का 70 फीसदी से अधिक काम पूरा हो चुका है। अगले माह से मंदिर की छत ढालने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। मई व जून में छत ढालने का काम तेजी से चलेगा। काम की गति बढ़ाने के लिए मजदूरों की संख्या भी बढ़ा दी गई है। दिसंबर 2023 तक भूतल बनकर तैयार हो जाएगा।