(जयपुर): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक नवंबर को राजस्थान के बांसवाड़ा स्थित मानगढ़ धाम जाएंगे। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मोदी के इस दौरे से पड़ोसी राज्य गुजरात में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव और राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के प्रवेश में असानी होगी, खासतौर पर आदिवासी बहुल इलाकों में।
उन्होंने बताया कि मानगढ़ धाम गुजरात और मध्य प्रदेश की सीमा के नजदीक है और भाजपा को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम का असर मध्य प्रदेश में भी होगा।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से मानगढ़ धाम में कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। अपको बता दे कि मानगढ़ धाम ब्रिटिश सेना द्वारा 1913 में नरसंहार के लिए जाना जाता है जिसमें गोविंद गुरु के नेतृत्व में लगभग 1500 आदिवासियों ने अपने प्राणों की बलि दी थी।
भाजपा सूत्रों से पता चला हैं कि प्रधानमंत्री द्वारा कार्यक्रम के दौरान कुछ घोषणाएं करने की उम्मीद है। हालांकि, प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से कुछ दिन पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री से मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा घोषित करने का आग्रह किया है। गहलोत ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा है।
केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि मानगढ़ धाम में गुमनाम नायकों को सम्मान देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। मेघवाल ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि “प्रधानमंत्री का एक नवंबर को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ऐतिहासिक स्थान- मानगढ़ धाम का दौरा करने का कार्यक्रम है। 1913 में 1500 आदिवासियों ने अपने प्राणों को त्याग कर दिया था और यह समय उन्हें सम्मान और आदर देने का है और प्रधानमंत्री उसी के लिए मानगढ़ धाम का दौरा कर रहे हैं।’’
प्रधानमंत्री द्वारा किसी घोषणा की संभावना के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि यह उनका विषय नहीं है। कार्यक्रम की व्यवस्था देख रहे मेघवाल ने हाल ही में प्रधानमंत्री के दौरे की तैयारियों की समीक्षा के लिए उदयपुर संभाग का दौरा किया था। यह केंद्र सरकार द्वारा आयोजित एक समारोह है।लेकिन इसका अधिकतम राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए भाजपा पार्टी स्तर पर तैयारी कर रही है।
इसके लिए पार्टी न केवल राजस्थान बल्कि गुजरात के भी विधानसभा क्षेत्रों से लोगों को जुटाने की योजना बना रही है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि मुख्य ध्यान राजस्थान और गुजरात पर है और राजस्थान सीमा के पास मध्य प्रदेश के आदिवासियों के भी कार्यक्रम में आने की पूरी संभावना है।
भाजपा के राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि राज्य के आदिवासी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी के कार्यक्रम के दौरान कुछ घोषणा करने की संभावना भी है।
पूनिया ने शुक्रवार को अपने उदयपुर दौरे के दौरान कहा था, “नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मानगढ़ धाम के विकास के लिए जो कल्पना की थी वह अब भारत के प्रधान मंत्री के रूप में एक वास्तविकता में बदल जाएगी।” मुख्यमंत्री गहलोत ने शनिवार को मानगढ़ धाम में राज्य सरकार द्वारा कराये जा रहे विकास कार्यों की बैठक की थी।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी इसे राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में घोषित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। बैठक में गहलोत ने अधिकारियों को मानगढ़ धाम में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे विभिन्न विकास कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने एक नवंबर को मोदी के प्रस्तावित दौरे के लिए आवश्यक तैयारियां पूरी करने के भी निर्देश दिए।
अशोक गहलोत ने यह भी कहा कि उन्होंने दो बार प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया जाए ताकि महान संत गोविंद गुरु को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सके।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने एक बार फिर प्रधानमंत्री से मानगढ़ धाम के अपने दौरे से पहले धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग उठाई थी।
भाजपा के एक अन्य नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री के आदिवासी क्षेत्र के दौरे से पार्टी को मजबूती मिलेगी।
पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा, “राजस्थान में विधानसभा चुनाव अगले साल के अंत में होने हैं और प्रधानमंत्री की यात्रा निश्चित रूप से आदिवासी क्षेत्र में पार्टी को मजबूती देगी।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के दौरे का असर गुजरात के उत्तरी हिस्सों में विधानसभा क्षेत्रों पर पड़ेगा जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
राजस्थान में आठ जिले बांसवाड़ा, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, राजसमंद, सिरोही, प्रतापगढ़ और पाली इस क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। यहां कुल 37 विधानसभा क्षेत्र हैं। 37 में से 21 सीटें भाजपा के पास हैं, जबकि कांग्रेस के पास 11, निर्दलीय 3 और भारतीय ट्राइबल पार्टी यानी बीटीपी के पास दो सीटें हैं।
राजस्थान में कुल 200 विधानसभा सीटें हैं और 71 पर भाजपा का कब्जा है। राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र में बीटीपी का प्रभाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चिंता का विषय है और इसलिए दोनों प्रमुख दल आदिवासी वोट बैंक को अपने पास रखने की कोशिश कर रहे हैं।