(जयपुर): राजस्थान उच्च न्यायालय ने नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के आरोपित को 15 दिन पत्नी के साथ रहने की इजाजत दी है। दरसल अलवर निवासी आरोपित राहुल बघेल पाक्सो अधिनियम के तहत 20 साल की अलवर जेल में सजा काट रहा है। राहुल की पत्नी बृजेश देवी ने पिछले ही दिनों उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर पति को पैरोल पर रिहा करने की मांग की थी।
बृजेश देवी ने बच्चा पैदा करने के मौलिक एवं सैंवधानिक अधिकार का हवाला देत हुए अलवर जिला एवं सत्र न्यायालय में 13 जुलाई, 2022 को आपात पैरोल याचिका दायर की थी। जिला एवं सत्र न्यायालय में मामला लंबित रहा तो बृजेश देवी ने 20 जुलाई, 2022 को उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
उसने पति को 30 दिनो के लिए पैरोल पर रिहा करने की मांग की थी। लेकिन उच्च न्यायालय ने राहुल को 30 में से 15 दिन के पैरोल पर छोड़ने का आदेश दिया। इस याचिका में कहा गया था कि पत्नी को गर्भवती या दंपति को वंश बढ़ाने के लिए रोकना संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 की भावना के खिलाफ होगा।
उच्च न्यायालय ने 15 अक्टूबर को मामले में सुनवाई की और फिर राहुल को पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया। तो वही न्यायालय में बृजेश देवी के वकील ने कहा कि राहुल की शादी साल, 2018 में हुई थी। वह उसी साल से जेल में बंद है। लेकिन बृजेश देवी बच्चा चाहती है। उसके कोई संतान नहीं है। राहुल ने जो गुनाह किया है उसमें बृजेश देवी का कोई दोष नहीं है। बच्चे को जन्म देना उसका मौलिक अधिकार है।
वहीं सरकारी वकील ने पैरोल की याचिका का विरोध करते हुए राजस्थान प्रेजेंस नियम-2021 को न्यायालय में पेश किया। उनके वकील ने कहा कि गर्भधारण के लिए दुष्कर्म मामले के आरोपित को पैरोल देने का कोई प्रावधान नहीं है। इस याचिका का कोई आधार नहीं है। राहुल को पैरोल दी गई तो समाज मे अच्छा संदेश नहीं जाएगा।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने माना की दोषी को पैरोल नहीं देने से उसकी पत्नी को संविधान की ओर से दिए गए अधिकारों का हनन होगा। न्यायालय ने अलवर जेल अधीक्षक को छूट दी है कि वह ऐसी शर्तें लगा सकते हैं, जिससे आरोपित पैरोल के बाद फिर से सजा पूरी करने के लिए जेल में हाजिर हो।
जेल के नियमों के अनुसार पैरोल देने के लिए कहा है। पैरोल के लिए न्यायालय की ओर से राहुल को दो लाख रुपये का व्यक्तिगत बॉन्ड और एक-एक लाख रुपये के दो जमानती बॉन्ड लेने के निर्देश दिए गये हैं।