मिग-21 को उड़ता हुआ ताबूत और ‘विधवा बनाने वाला’ जैसे नामों से क्यों पुकारा जाता है, जाने इससे जुड़ी पूरी कहानी

India News (इंडिया न्यूज़), MIG-21 Crash,जयपुर: मिग-21 जोकि एक लड़ाकू जहाज है। भारतीय वायुसेना की ताकत कही जानें वाला मिग-21(MIG-21) लड़ाकू विमान के लगातार क्रैश के मामलों ने अब उसे कई नए नाम दिए हैं। बता दें कि अभी तक 400 से अधिक मिग लड़ाकू जहाज क्रैश हो चुके हैं। इन हादसों में वायुसेना के 200 से अधिक पायलट शहीद हो गए हैं। इसके अलावा ढाई सौ से ज्यादा सामान्य लोगों ने भी इन हादसों में अपनी जान गंवाई है।

इस विमान के अत्याधिक क्रैश की वजह से मिग-21 को ‘फ्लाइंग कॉफिन’ यानी उड़ता हुआ ताबूत और ‘विधवा बनाने वाला’ जैसे नामों से पुकारा जाने लगा। आपको बता दें कि ताजा घटना राजस्थान के हनुमानगढ़ की है। यहां सोमवार, 8 मई को मिग-21 क्रैश होने की वजह से दो नागरिक महिलाओं की मौत हो गई और एक व्यक्ति घायल हो गया। बता दें कि हालांकि पायलट सुरक्षित है। जानकारी के अनुसार विमान ने सूरतगढ़ से उड़ान भरी थी। ऐसे में एक बार फिर इस बात पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि आखिर इस पुराने लड़ाकू जहाज को वायुसेना रिटायर क्यों नहीं कर रही है?

मिग-21 60 के दशक में खरीदे गए थें

बता दें भारत के द्वारा इस लड़ाकू जहाज को रूस’ से साठ के दशक में खरीदे गए थें। हलांकि रूस ने खूद इस फाइटर प्लेन को 1985 में रिटायर कर चुका है। लेकिन भारत में आज भी इन विमानों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जानकारो का कहना है कि आज ये विमान भले ही खतरनाक कहे जा रहे हों लेकिन एक समय था जब इस विमान का सिक्का चलता था। 1971 की लड़ाई में मिग-21 ने शानदार नतीजे दिए थे।

ग्राउंड अटैक में इसका बेहतरीन इस्तेमाल किया गया। उस लड़ाई में ढाका के गवर्नर हाउस पर मिग-21 ने ही अटैक किया था। पाकिस्तान के साथ 1965 और 1999 की लड़ाई में भी ये लड़ाकू जहाज खुद को साबित कर चुका है।

मिग-21 कभी गलती को माफ नहीं करता

विशेषज्ञों के अनुासर ये जहाज कभी गलती को माफ नहीं करता। इसे उड़ाने के लिए बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है। यू कहें कि इसे हल्के में ले ही नहीं सकते। किसी भी तरह से चला लेंगे, ऐसा इसके साथ संभव नहीं है। अगर सूझबूझ से इस्तेमाल करोगे तो ये धोखा नहीं देगा। बेहद पुराने हो जाने के कारण यह आधुनिकता की दौर में काफी पीछे छूट गया है। भारतीय वायु सेना इसके सबसे उन्नत किस्म मिग-21 बाइसन का इस्तेमाल करती है।

इसे अत्याधुनिक बीवीआर मिसाइल से लैस किया जा सकता है। हालांकि, सभी सकारात्मक बातों के बीच इस दौर में लड़ाकू विमानों में इंजन की तकनीक सबसे ज्यादा मायने रखती है और मिग-21 विमानों की इंजन तकनीक अब काफी पुरानी हो चली है। इसके अलावा विमान का डिजाइन और फ्रेम भी पुराने जमाने का है। इस विमान को रूस ने 1985 में ही रिटायर कर दिया था। इसके अलावा ज्यादातर उपयोगकर्ता देश भी इसे रिटायर कर चुके हैं।

मिग-21 को 1990 के दशक में रिटायर होना था

जानकारों का कहना है कि इसे 1990 के दशक में रिटायर होना चाहिए था, लेकिन ये अभी तक चल रहा है। सरकारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। अगर तभी वायुसेना को मिग-21 का विकल्प मिल जाता तो इसे रिटायर किया जा सकता था।

ऐसे में जानकार ये भी कहते हैं कि पुराने लड़ाकू जहाजों को हटाने में भारत जितनी देर करेगा, राष्ट्र की सुरक्षा में खतरा उतना ही बढ़ता जाएगा। लेकिन सरकार ने विकल्प न होने के चलते इस जहाज का इस्तेमाल जारी रखा गया है। मिग-21 के कुछ विमानों के अलावा मिग-25 और मिग-27 जैसे लड़ाकू जहाज रिटायर भी हुए हैं।

 

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Nisha Parcha

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