(इंडिया न्यूज),जयपुर: (Who was Bhanwari Devi who ruined the political tenure of Congress’s strong minister) साल 2011 का वो साल जिसने राजस्थान की राजनीति में भूचाल ला दिया था। उस दौरान राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी। तब अशोक गहलोत दूसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे। तब कांग्रेस सरकार अपना लगभग तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी थी।
उसी दौरान गहलोत की सरकार में कद्दावर मंत्री महिपाल मदेरणा के खिलाफ ANM के अपहरण एवं हत्या की साजिश रचने का मामला भी दर्ज हुआ था। यह मामला यही तक नहीं रूका। बल्कि यहीं से सरकार के ऊपर संकट के बादल छाने शुरू हो गए। इसके साथ ही तत्कालीन जलदाय मंत्री महिपाल मदेरणा की राजनीति में ग्रहण लग गया।
जोधपुर जिले के बोरुंदा निवासी एएनएम भंवरी देवी का भंवर इतना बढ़ता गया कि महिपाल मदेरणा उसी में उलझते चले गए। मामले पर तुरंत कार्रवाई भी होने लगी। फिर एक बार 1 सितंबर, 2011 को भंवरी देवी के अचानक लापता होने की खबर आई। इसके ठीक 20 दिन बाद 20 सितंबर 2011 को भंवरीदेवी के पति अमरचंद ने मंत्री के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी तेजी से कार्रवाई करते हुए इसमें सीबीआई जांच की अनुमति दे दी। इस मामले में सीबीआई ने करीब ढाई माह बाद 3 दिसंबर 2011 को महिपाल मदेरणा को गिरफ्तार कर लिया। अब यहीं से मामला आगे बढ़ने लगा और बाद में मदेरणा का मामला जेल पर आकर रुक गया।
बता दे कि जोधपुर जिले से आने वाले महिपाल मदेरणा को मजबूत राजनीति विरासत में मिली थी। उनके पिता परसराम मदेरणा जोधपुर के ओसियां से विधायक रहे। जिनका बाड़मेर, जैसलमेर के साथ ही साथ पूरे पश्चिमी राजस्थान में बड़ा प्रभाव हुआ करता था। उस दौर में परसराम मदेरणा कांग्रेस के बड़े दिग्गज नेता के तौर पर स्थापित हुए थे। जाटों के दिग्गज नेता के तौर पर उन्हें माना जाता था। एक समय जब जोधपुर से आने वाले अशोक गहलोत पीसीसी चीफ थे और मदेरणा नेता प्रतिपक्ष बने थे।
इसका नतीजा यह निकला की चुनावों में जाटों ने एक तरफा कांग्रेस को वोट किया था। तब कांग्रेस ने उस चुनाव में इतिहास बनाया और 200 में से 153 सीटें जीती। आपको बता दे कि परसराम मदेरणा मुख्यमंत्री नहीं बन पाए लेकिन एक बड़ी मजबूत राजनीतिक विरासत छोड़ गए। उसके बाद उनके बेटे महिपाल मदेरणा ने कमान संभाली। महिपाल ने भी अपनी छवि जाटों के बीच मजबूत नेता के तौर पर बनाई। परसराम मदेरणा के नक्शे कदम पर बढ़ते हुए महिपाल धीरे-धीरे कांग्रेस में मजबूत नेता बन गए।
दिल्ली में बैठे आलाकमान को भी साधने में सफल हो गए। फिर वहीं दौर आने लगा जब कानून के बेहतर जानकार महिला राजनीति में भी सफल होने लगे। मगर एक घटना ने उन्हें अर्श से फर्श पर ला कर गिरा दिया। उसके बाद से उन्हें कोई बचा न सका। उनके हाथ से एक मजबूत राजनीति की विरासत भी चली गई। जाट नेता के तौर पर मजबूती भी कमजोर होती चली गई। राजस्थान की राजनीति की हर हवा हो समझने वाला मदेरणा परिवार को अंदाजा भी नहीं था कि एक दिन जेल जाने की भी नौबत आएगी। क्योंकि महिपाल मदेरणा कानून की अच्छे समझ और जानकारी रखते थे। महिपाल ने जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की थी। जानकार बताते हैं कि महिपाल मदेरणा पढ़ने के शौकीन थे। वे अक्सर बैठे-बैठे विभिन्न कानूनों की किताबें पढ़ते रहते थे। उनकी प्रशासनिक विधि पर मजबूत पकड़ थी।
लोग बताते हैं कि इसी वजह से किसी भी बड़े अधिकारी की गलतियों को उसके सामने ही दुरुस्त करने की क्षमता रखते थे। बताया तो यहां तक भी जाता है कि कई बार अधिकारियों को उनके सामने जाने में भी डर लगता था। लेकिन एक गलती ने बलवान महिपाल को कमजोर बना दिया। राजस्थान का सबसे चर्चित भंवरी देवी का मामला देश में भी छाया रहा। लम्बी जांच के बाद सीबीआई ने महिपाल मदेरणा को गिरफ्तार किया। आपको बता दे कि जोधपुर के बोरुंदा की रहने वाली खूबसूरत एएनम भंवरी देवी के 1 सितंबर 2011 को लापता होने की खबर आती है। ठीक उसके बाद 20 सितंबर 2011 को भंवरी के पति अमरचंद ने जलदाय मंत्री महिपाल मदेरणा के खिलाफ अपहरण एवं हत्या की साजिश रचने का मामला दर्ज कराता हे। उस दौरान जब मामला दर्ज हुआ था तो उसपर बड़ी राजनीति हुई थी।
राजस्थान के साथ ही देश की राजनीति में भी भूचाल आ गया था। जल्दी से मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। जिसके बाद सीबीआई ने अपनी जांच में माना की एएनएम भंवरीदेवी का अपहरण करने के बाद उसकी हत्या कर दी गई और उसके शव को जलाकर राख को नदी में बहा दिया गया। उसके बाद महिपाल मदेरणा को गिरफ्तार किया गया। भंवरी मामले में जाँच होती गई और परत खुलती गई। जांच के दौरान कई किरदार मेताओं पर भी इस मामले की छिंटे आई। बता दे कि सीबीआई ने इस मामले में डेढ़ दर्जन से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया था। उस मामले में तत्कालीन विधायक मलखान विश्ननाई और उनकी बहन इन्द्रा विश्नोई भी शामिल थी। हालांकि, सभी आरोपी जेल से जमानत पर बाहर आ चुके हैं। 69 साल की उम्र में महिपाल मदेरणा का निधन हो गया।
महिपाल लंबे समय से कैंसर की बीमारी से पीड़ित थे। अब उनकी बेटी दिव्या मदेरणा उनकी राजनीतिक विरासत संभाल रही हैं। आपको बता दे कि दिव्या मदेरणा ओसियां से कांग्रेस की विधायक हैं। राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि महिपाल मदेरणा उस समय राजस्थान में जाटों के सबसे बड़े नेता के तौर पर देखे जा रहे थे। लेकिन उनकी एक गलती ने सबकुछ खत्म कर दिया। उनकी सीडी के सामने आने के बाद चीजें और बदल गई। उनकी राजनीति नीचे चली गई। जनता पापों को माफ नहीं करती। उस दौरान सीएम फेस के रूप में मदेरणा बढ़ रहे थे। उनके अंदर बड़ी संभावना भी दिखती थी। अब उनकी जो छवि बनी उसे बैलेंस होकर दिव्या मदेरणा बेहतर कर रही हैं।