Rajasthan: बदलते समय के साथ-साथ भारत भी बदल रहा है। वहीं बीते कुछ शहर में हमारा रहन-सहन, जीवन, हमारे काम करने की प्रणाली हर एक चीज में बदलाव देखने को मिला है। अब हम आधुनिक हो गए हैं। बता दें कि हर काम को तेज गति देने के लिए मशीनों का सहारा लिया जा रहा है। हर कुछ डिजिटल हो गया है। टेक्नोलॉजी के इस दौर में यदि आप टेक्नोलॉजी का सहारा नहीं ले रहे तो आप बिछड़ जाएंगे, ऐसे में अब गांव भी टेक्नोलॉजी का सहारा ले रहे हैं, इसका जीता जागता उदाहरण सरदारशहर तहसील का गांव उड्सर हैं। गांव उड्सर को हम डिजिटल गांव भी कहे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यहां के ग्रामीण अब अपना सामान अपने गांव की वेबसाइट के जरिये विदेशों तक में भेज रहे हैं और अच्छे पैसे कमा रहे हैं।
यूं तो सदियों से ही हमारे गांव में परंपरा रही है कि हर कारीगरी के कारीगर हमारे गांव में मौजूद हैं। लेकिन बदलते वक्त के साथ-साथ उनकी कारीगरी अब लुप्त होती जा रही थी, जैसे चारपाई बनाना, पीढ़े बनाना, महिलाओं का घर सजाना इसके अलावा हमारे राजस्थान में खाद्य पदर्थों की भी परंपरा रही है, जिनमें सूखी सब्जियां शामिल है। जिनमे सांगरी, केर, बडी, पापड़, फोफलिया, काचरी, ग्वार फली आदि को सीजन के समय में सुखा लिया जाता है, गाय का देशी घी, जो भी गांव का उत्पाद है जो गांव में बनते हैं, इन सभी चीजों को ग्राम पंचायत उडसर के ग्रामीणों ने अपनी गांव की वेबसाइट पर ऑनलाइन बेचना शुरू किया है। इसके माध्यम से ना सिर्फ गांव के लोगों को रोजगार मिल रहा है बल्कि लुप्त होती हमारी परंपरा फिर से जीवित हो रही है और हम वही पुराने परिवेश में पहुंच रहे हैं।
गांव में हुए इस क्रांतिकारी बदलाव के पीछे गांव के युवा धनपत सारण की सोच है। आईआईटी के क्षेत्र मैं काम करने वाले युवा धनपत सारण ने बताई कि एक गांव की जो आवश्यकत थी वो पहले उसी गांव में पूरी हो जाती थी। लेकिन हमारी कारीगरी के दम पर ही हमारे गांव की अर्थव्यवस्था चलती थी। जीवन यापन के लिए जो भी सामान की हमे आवश्यकता होती थी वह गांव में ही बनाई जाती थी। गांव एक दूसरे से इंडिपेंडेंट थे। वो कारीगर आज भी हमारे गांव में है और उसी कारीगरी को बचाने के लिए विचार कर रहा था। एक आदर्श ग्राम पंचायत कैसे हम अपनी पंचायत को बना सकते हैं ये विचार बहुत लंबे समय से मेरे दिमाग में था, ओर जब 2020 में मेरी चाची जी गांव की सरपंच बनी तब मैंने सोचा कि क्यों न कुछ नया अपने गांव में किया जाए, जो बाकी ग्राम पंचायतों के लिए उदाहरण प्रस्तुत कर सकें। मोटा आईडिया ये था कि अपने गांव के जो कारीगर हैं उसकी कारीगरी को बचाया जाए साथ ही उस कारीगरी को रोजगार में तब्दील किया जाए, इसी आईडिया से इस वेबसाइट को 2021 में सुरु किया गया था। बता दें कि आज इस साइट के माध्यम से गांव के लोग हैं वो अपने गांव में ही बना सामान दुनिया भर में बेच रहे हैं। इससे गांव वालों को खूब फायदा मिल रहा है।
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