India News (इंडिया न्यूज़),Tutankhamun-2 Exhibition: राजस्थान की राजधानी जयपुर के झालाना स्थित राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में शुक्रवार, 22 सितंबर से तूतनखामुन -2 प्रदर्शनी की शुरुआत हो गयी है, इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रसिद्ध आर्टिस्ट और एक्टर अमोल पालेकर ने किया। इस कार्यक्रम में गेस्ट ऑफ ऑनर कायरों में भारती के राजदूत राहुल कुलश्रेष्ठ मौजूद रहे। इसके साथ ही इस कार्यक्रम में अध्यक्षता राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर के निदेशक निहाल चन्द गोयल ने की। इस प्रदर्शनी में मिस्र के 3500 साल पुराने तूतनखामुन के मकबरे की रिप्तिकाएं प्रदर्शित की गई है। यह प्रदर्शनी राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, धोरा इन्टरनेशनल आर्टिस्ट सोसायटी बीकानेर और मिस की संस्था फेहरोज लैंड की ओर से की जा रही है।
आरआईसी के निदेशक एनसीगोयल ने बताया “22 सितम्बर को वीआईपी प्रीव्यू रखा गया है और 23 सितम्बर से यह आमजन के लिए अवलोकनार्थ शुरू हो जाएगी। यह प्रदर्शनी एक महीने तक चलेगी, इसके तहत कला प्रेमी 22 अक्टूबर तक इसे निहार सकते है।” इस प्रदर्शनी के इंडिया क्यूरेटर आर्टिस्ट मनीष शर्मा ने बताया “मिस्र के 3500 साल पुराने राजा तूतनखामुन को मकबरे में दफनाया गया। वहां के राजा तूतनखामुन और उनके परिजनों के शवों के ताबूतों (ममी) और उस समय उनके सम्मान में दफनाई गई सैकड़ों वस्तुओं का गवाह जयपुर बना है।
बता दें कि वैसे तो इस मकबरे में मिस्र की तत्कालीन सभ्यता की हजारों दुर्लभ वस्तुएं मौजूद हैं, लेकिन उनमें से चयनित लगभग 250 वस्तुओं और शवों के ताबूत (ममी) की प्रतिकृतियां यहां प्रदर्शित की गई है। इन प्रतिकृतियों ( रेप्लिकाओं ) का निर्माण मिस्र के कलाकार डॉ . मुस्तफा अलजैबी , ओसामा ने किया है। मिस्र में वहां की सरकार ने इस अनूठे मकबरे की प्रतिकृतिया बनाने के लिए इन्हीं अधिकृत किया है।
यहां प्रदर्शित की गई प्रतिकृतियों में मिस्र के तत्कालीन राजा तूतनखामुन और उनकी पत्नी के शवों के दो ताबूत (ममी), राजा तूतनखामेन के पत्नी के असमय हुए गर्भपात के दो भ्रूण, उनके असमय ही मृत्यु को प्राप्त बच्चों, कई परिजनों के शवों की प्रतिकृतियां, राजा, रानी और उनके परिजनों की ओर से पहने जाने वाले सोने के आभूषण, उनके सुरक्षा कर्मियों और शवों की सुरक्षा के लिए हर समय मकबरे के बाहर तैनात रहने वाले भेड़िए और कुत्ते की शक्ल आभास देने वाले जानवरों की प्रतिकृतियां शामिल है। बता दें कि इस जानवर की प्रजाति सैकड़ों साल पहले विलुप्त हो चुकी हैं।
आपको बता दें कि जिस समय इन्हें दफनाने के लिए मकबरा बनाया गया था, उस समय के कलाकारों ने मकबरे की दीवारों पर इस राजा की यात्रा से संबंधित चित्र भी उकरे थे, इस प्रदर्शनी में उन पेंटिंग्स की प्रतिकृतियां भी प्रदर्शित की गई है। एग्जीबिशन में आकर्षण का केन्द्र तूतनखामुन के पिता अखेनातन की 16 फीट की मूर्ति है। इसके अलावा पीतल और ताम्बे में बना हुआ श्रायन भी डिस्प्ले किया गया है। इसके साथ ही यहां आने वाले लोगों के लिए एक सेल्फी पॉइंट भी बनाया गया है, जो पिरामिड की डिजाइन में है।
प्रदर्शनी के कोर्डिनेटर विनय शर्मा ने बताया “तूतनखामुन की मौत के 3500 साल बाद सन 1922 में ब्रिटिश पुरातत्वविदो की एक टीम ने उनकी कब्र की खोज की थी। तूतनखामुन के मकबरे की खोज को 101 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित इस प्रदर्शनी में हजारों कलाकृतियों में से चुनिंदा महत्वपूर्ण और दुर्लभ अवशेषों और कलारूपों की प्रतिकृतियों को विशेषज्ञ कलाकारों और इजिप्टोलाजिस्ट की टीम ने सृजित किया है।”
3500 साल बाद ब्रिटिश पुराविदों ने खोजी कब्र मुस्तफा ने बताया “तूतनखामेन की मौत के 3500 साल बाद 1922 में ब्रिटिश पुरातत्वविदों की एक टीम ने उनकी कब्र की खोज की थी। तूतनखामेन मिस्र का फारो था, जिसकी कब्र को हावर्ड कार्टर ने 1922 में खोला। ततूतनखामेन राजा मिस्र में राजातूत के रूप में भी लोकप्रिय है। इस बीच बता दें कि वह राजा अखेनातन का पुत्र था। तुतनखामुन का अर्थ ‘अमन की छवि वाला’ होता है। इस साल नम्बर में इस खोज को 101 साल पूर हो रहे है और दुनियाभर में इसका सेलिब्रेशन भी किया जा रहा है। तो चलिए अब आपको प्रदर्शनी का सीधा रुख करवाते हैं। हमारे संवाददाता प्रशांत यादव प्रदर्शनी में पहुंचकर प्रदर्शनी को देखने आए लोगों से भी बात की है।