होम / साधारण लाल तरबूज के मुकाबले काफी रसीला और महंगा है ये पीला ताइवानी तरबूज, आप भी एक बार जरूर चखे

साधारण लाल तरबूज के मुकाबले काफी रसीला और महंगा है ये पीला ताइवानी तरबूज, आप भी एक बार जरूर चखे

• LAST UPDATED : April 12, 2023

yellow taiwanese melon: राजस्थान में यह शख्स अपने नाम ,से नही बल्कि तरबूज की खेती के लिए जाने जाते है। इसका कारण उनकी तरबूज की खेती है। दरअसल राजस्थान में भीलवाड़ा जिले के बीगोद कस्बे के रहने वाले अब्दुल रजाक तरबूज की खेती करते है, जिसके लिए वे अपने क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं और तरबूज भी ऐसे वैसे नही बल्कि ताइवानी तरबूज है जी हां वह 3 साल से ताइवानी तरबूज की खेती कर बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं। इन तरबूजों की खास बात जो इन्हे भारत के तरबूजों से अलग बनाती है। इनकी रंग पीला है। पीले रंग के इन तरबूजों की कीमत बाजार में अच्छी-खासी है।

जैविक खेती करने वाले प्रगतिशील किसान अब्दुल रजाक ने बताया कि उन्होंने दो साल पहले बतौर प्रयोग पीले तरबूज लगाए थे। अब 5 बीघे में ताइवानी तरबूज की खेती करके वह बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं। ताइवानी तरबूज, साधारण तरबूज से महंगा बिकता है ताइवानी तरबूज साधारण लाल तरबूज के मुकाबले तीन गुना ज्यादा महंगा बिकता है। यह बाजार में 60 से 80 रुपये प्रति किलो में बिक रहा है। तो वहीं, साधारण तरबूज की कीमत 15 से 20 रुपये है। इसके अलावा यह तरबूज बुवाई के 90 दिनों के अंदर ही तैयार हो जाता है। ताइवानी तरबूज की खेती में सिंचाई के लिए ज्यादा पानी की भी जरूरत नहीं होती। जिन इलाकों में पानी की दिक्कत है वहां के किसान तरबूज की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। स्वाद में भी देसी तरबूज के मुकाबले ताइवानी तरबूज काफी मीठा होता है।

जानें कब होती है ताइवानी तरबूज की बुवाई

गर्मी में अगेती फसल लेने के लिए नवंबर महीने में तरबूज के बीज लगाएं जाते हैं। खेत मे मेड़ बनाकर मल्चिंग पेपर लगाने के बाद पौधों को सर्दी से बचाने के लिए ऊपर लो टनल प्लास्टिक पेपर से ढक दिया जाता है। जनवरी महीने में सर्दी का असर कम होने पर लो टनल प्लास्टिक पेपर हटा दिया जाता है जिससे गर्मी की शुरुआत में ही खरबूज की फसल तैयार हो जाती है। मार्च और अप्रैल में फसल के दाम भी अच्छे मिलते है।

रमजान महीने में मुनाफे में इजाफा इस बार रमजान व नवरात्रि एक साथ शुरू होने किसानों अपनी फसल का अच्छा मुनाफ़ा मिला है। ताइवानी तरबूज और खरबूज की मांग गांवों की तुलना में शहरों में अधिक है। दिल्ली, मुंबई, जयपुर, जोधपुर सहित अन्य शहरों में इस क्षेत्र के तरबूज की अच्छी मांग है।

अब्दुल ने चार प्रकार की खरबूज की फसल भी लगाई

प्रगतिशील किसान अब्दुल रजाक ने बताया कि रमजान को देखते हुए नवंबर महीने की शुरुआत में ही फसल लगाई थी। रोजा इफ्तार के लिए रोजेदार तरबूज को काफी पसंद कर रहे हैं। बता दें कि ताइवानी तरबूज के साथ खरबूज की मुस्कान किस्म मंडियों में खूब पसंद की जाती है। इसी को देखते हुए अब्दुल ने चार प्रकार की खरबूज की फसल भी लगाई है। काले रंग के तरबूज भी लगाए है। जैविक तरीके से लगाई फसल से फलों में मिठास अधिक है। इसे लोग भी खूब पसंद कर रहे हैं।

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