(जयपुर): वैसे तो आपने किए किस्से-कहानियां सुनी होंगी, लेकिन आज हम आपको राजस्थान के नागौर जिले के गांव की एक अनोखी कहनी बताने जा रहे हैं. इस गांव की स्थापना कुछ अलग तरीके से हुई. इस गांव के बड़े-बुढ़े कहते हैं कि नागौर के इस गांव की स्थापना चांदी का हल चलाकर की गई थी. उस समय ये चांदी का हल बीकानेर के राजघराने के कर्णसिंह ने चलाकर नागौर के इस बुगरड़ा गांव ( Nagaur Bugrada Village) को बसाया.
यहां के लोगों का कहना है कि नागौर के इस गांव को राजा कर्णसिंह (Raja Karan Singh) ने बसाया था. बुगरड़ा गांव से पहले यहां रूणियां गांव हुआ करता था. वहीं, जैसे-जैस यहां की जनसंख्या बढ़ती गई, वैसे ही यहां बुगरड़ा गांव बसाने के लिए सोचा गया. इसी के बाद राजा कर्णसिंह ने साल 1665 में यहां चांदी का हल चलाया और इस गांव को बसाया.
जानकारी के अनुसार, यहां चांदी का हल चलाने का एक विशेष महत्व था. कहा जाता है कि यहां के लोग हल को अपनी समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक मानते हैं और यहां रहने वाले लोग कृषि कार्य कर अपना जीवनयापन करते हैं इसलिए इस गांव की स्थापना चांदी का हल चलाकर की गई.
आज के समय में नागौर (Nagaur News) का ये बुगरड़ा गांव अपनी संस्कृति, पढ़ाई और खेलखूद के सभी क्षेत्रों में एक विशेष पहचान रखता है. यहां के फुटबॉल खिलाड़ी राज्य और राष्ट्रीय लेवल पर अपना और गांव का नाम रोशन कर चुके हैं.
ये गांव डीडवाना हाईवे (Deedwana Highway) से 2 किलोमीटर पर बसा हुआ है. बुगरड़ा गांव के निवासी रामसिंह कुड़ी जायल (Ram Singh Kudi Jayal) विधानसभा क्षेत्र के विधायक रहे हैं. इस गांव के युवा प्रशासनिक अधिकारी के पद पर भी हैं.