(जयपुर): राजस्थान मंत्रिमंडल ने राजस्थान सिविल सेवा यानी भूतपूर्व सैनिकों का आमेलन नियम में संशोधन को मंजूरी देने का बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला गुरुवार को लिया.
इससे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण में विसंगति की समस्या का समाधान होने की आशा है. अपको बता दे कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री निवास पर हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए.
बैठक के बाद जलदाय मंत्री महेश जोशी ने बताया, ‘‘जो विसंगति थी उसे दूर किया गया. जल्द ही इसका ब्योरा जारी किया जाएगा.’’ वहीं जलदाय मंत्री महेश जोशी ने कहा,‘‘पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में एक विसंगति पैदा हो गई थी उस त्रुटि को भी दूर कर दिया गया है.’’
आधिकारिक बयान के अनुसार, मंत्रिमंडल ने राजस्थान सिविल सेवा (भूतपूर्व सैनिकों का आमेलन) नियम, 1988 में संशोधन का फैसला लिया है. इससे राज्य की भर्तियों में पूर्व सैनिकों को क्षैतिज (हॉरिजॉन्टल) श्रेणीवार आरक्षण प्राप्त होगा.
इस संशोधन से अनुसूचित जाति/जनजाति के पूर्व सैनिकों को भी समग्र रूप से सीधी भर्तियों में आनुपातिक प्रतिनिधित्व मिलेगा. साथ ही पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पदों में से पिछड़ा वर्ग के सामान्य अभ्यर्थियों (पूर्व सैनिकों के अलावा) का भी सम्यक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सकेगा.
पूर्व सैनिकों की वर्तमान भर्ती नियमों में भर्ती उपरांत, उनका समायोजन उनसे संबंधित श्रेणी में किया जाता है. इस व्यवस्था से पूर्व सैनिकों के अपनी श्रेणी में समायोजित होने के कारण अनुसूचित जाति/जनजाति के पूर्व सैनिकों का चयन कम हो पा रहा है.
साथ ही पूर्व सैनिकों के लिए निर्धारित आरक्षण उपरांत चयनित अभ्यर्थियों के अपने वर्ग में समायोजित हो जाने के कारण कुछ भर्तियों में पिछड़ा वर्ग के ऐसे अभ्यर्थी जो पूर्व सैनिक नहीं हैं, का भी समुचित प्रतिनिधित्व नहीं हो रहा है.
बयान के अनुसार, इस पहल से पूर्व सैनिकों को वर्तमान में मिल रही आयु में छूट व न्यूनतम अंकों में छूट का लाभ भी मिलता रहेगा. साथ ही पूर्व सैनिकों के किसी भर्ती के रिक्त पद के विरुद्ध रिक्तियां एक भर्ती वर्ष तक अग्रेषित (कैरी फॉरवर्ड) की जाती रहेगी.
वहीं ओबीसी आरक्षण विसंगति को दूर करने की मांग कर रहे पूर्व मंत्री हरीश चौधरी ने रात में ट्वीट किया, ‘‘बधाई सभी युवाओं को. ओबीसी आरक्षण विसंगति आंदोलन में संघर्ष के सभी साथियों को बधाई, कैबिनेट में साथ देने वालों को धन्यवाद. विवाद से नहीं सामंजस्य, सहयोग व संघर्ष से सफलता मिलती है.’’