India News (इंडिया न्यूज़),Mission-2023: राजस्थान इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने है। जिसको लेकर सभी पार्टियां अलर्ट मोड़ पर है। लेकिन चुनाव को लेकर कांग्रेस में चल रही घमासान के बीच कई बदलाव भी सामने आ रहे है। बताया जा रहा है कि राजस्थान के मिशन-2023 में पचास से कम उम्र के युवाओं को इस चुनाव में ज्यादा मौके दे रही कांग्रेस अब कई वरिष्ठ विधायकों के टिकट अगले विधानसभा चुनाव में काट सकती है। बता दें कि सीएम अशोक गहलोत सरकार में कांग्रेस के विधायकों की जहां औसत उम्र 57.70 साल है, तो वहीं 106 में से 75 विधायकों और 26 मंत्रियों की उम्र भी 50 से ज्यादा है। सूत्रो के हवाले से पता चला है कि ऐसे में युवाओं को जगह मिलने पर आधे से ज्यादा मौजूदा विधायकों पर टिकट कटने की तलवार चल सकती है।
बता दें कि कांग्रेस द्वारा हाल ही में एक सर्वे चलाया गया था जिसमें बाहर की एजेंसी से कराए गए सर्वे में भी पार्टी के कई विधायकों की रिपोर्ट सही नहीं आई थी। जिसके चलते प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने करीब दो माह पहले ही वन टू वन मीटिंग में ऐसे विधायकों को अलर्ट कर दिया था कि या तो वे अपनी रिपोर्ट सुधार लें, अन्यथा इस बार टिकट कटाने का मन बना लें।
हालांकि राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस ने पिछले साल उदयपुर के चिंतन शिविर के चलते पार्टी में युवाओं को ज्यादा से ज्यादा मौके देने का में संकल्प लिया था। सत्ता और संगठन दोनों में ही 50 साल से कम उम्र के 50 प्रतिशत लोग होंगे। राहुल के बाद प्रभारी रंधावा और अब सीएम के उसी लाइन पर चलने से कांग्रेस में एक बार फिर युवा और ज्यादा उम्र वाले नेताओं की बहस छिड़ गई है। वे भी उस दौर में जब युवा और अनुभवी नेताओं के बीच प्रदेश में आपसी खींचतान चरम पर है। एक ओर युवा तुर्क सचिन पायलट का खेमा ताल ठोंक रहा है, तो वही दूसरी ओर सबसे अनुभवी सीएम गहलोत के समर्थक हैं। कई वरिष्ठ विधायक अगला चुनाव लड़ना चाहते हैं। प्रदेश की सरकार में कुल 106 विधायकों में से 30 मंत्री और तीन महिलाएं मंत्री हैं। इन मंत्रियों में से 26 ऐसे हैं, जिनकी उम्र 50 या उससे भी अधिक है और पचास से कम आयु वाले सिर्फ अशोक चांदना, भंवर सिंह भाटी, टीकाराम जूली और सालेह मोहम्मद हैं।
कांग्रेस में अगर 50 साल से कम उम्र के विधायको की बात करें तो, कांग्रेस के सिर्फ 31 विधायक ही ऐसे हैं जिनकी उम्र 50 साल से कम है। यदि 30 से 50 की उम्र के विधायकों की बात करें तो इनमें ज्यादातर ऐसे विधायक हैं जो सचिन खेमे से हैं। इनमें मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, दिव्या मदेरणा, इंद्रा मीणा, वेदप्रकाश सोलंकी आदि शामिल हैं। तो वही, दूसरी ओर गहलोत गुट के ज्यादातर विधायक उम्रदराज यानी 50 से ज्यादा उम्र वाले नजर आते हैं। बता दें कि इनमें 25 सितंबर को हुई बगावत में अहम रोल अदा और नोटिस पाने वाले शांति धारीवाल और महेश जोशी भी शामिल हैं।
कांग्रेस के 21 विधायक ऐसे भी हैं जिनकी आयु 40 से 50 साल के बीच है। इनमें पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी शामिल हैं। इसके अलावा वाजिब अली, संदीप यादव, प्रशांत बैरवा, पानाचंद मेघवाल, निर्मला सहारिया, मनोज मेघवाल, मंजू मेघवाल, मनीषा पंवार, महेंद्र सिंह विश्नोई, इंद्राज गुर्जर, गिर्राज सिंह मलिंगा, राजकुमार शर्मा, कृष्णा पूनिया, चेतन डूडी आदि शामिल हैं। कांग्रेस में सबसे कम उम्र के विधायको की अगर बात की जाएं तो, कांग्रेस में सबसे कम 30 से 40 साल के सिर्फ 10 विधायक हैं। करीब 32 साल परबतसर विधायक रामनिवास गावड़िया सबसे युवा हैं। उन्हीं के साथी लाडनूं विधायक मुकेश भाकर की उम्र 34 साल है। महिला विधायकों में इंद्रा मीणा और ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा भी इसी कैटेगरी में हैं।
कांग्रेस में सबसे ज्यादा 30 विधायकों की उम्र 50 से 60 के बीच है। इनमें कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और पंजाब के प्रभारी हरीश चौधरी भी शामिल हैं। इसके अलावा इस लिस्ट में वीरेंद्र सिंह, सुदर्शन सिंह रावत, सोफिया जुबैर, रोहित बोहरा, रीटा चौधरी, रफीक खान, पदमराम मेघवाल, मीना कंवर, लखन सिंह, कृष्ण राम विश्नोई के भी नाम हैं। 50 प्लस वाले विधायकों में खिलाड़ीलाल बैरवा, जोगिंदर अवाना, हाकम अली खान, अनिल शर्मा, अशोक बैरवा, अमीन कागजी, अमर सिंह जाटव, महेंद्र चौधरी के नाम भी हैं।
इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने युवा कांग्रेस के नेताओं को जो संदेश दिया है, वह एक तरह से प्रदेश प्रभारी के बयान की ही अगली कड़ी है। गहलोत ने कहा है कि सीनियर नेता भले ही अपनी सीट न छोड़ें, लेकिन युवा पूरे जोर-शोर से अपनी दावेदारी जताएं। इसका उन्हें फायदा मिलेगा, क्योंकि पार्टी ने 50 से कम आयु के युवाओं को ज्यादा मौके देने का मन बनाया है। सीएम से पहले प्रदेश प्रभारी रंधावा कह चुके हैं कि बड़ी उम्र वाले लोगों को खुद ही कुर्सी का मोह त्याग देना चाहिए। इसमें कहने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए। कांग्रेस ऐसी पार्टी है, जो युवाओं को मौका देती है। विधानसभा चुनाव के लिए युवाओं को आगे बढ़ाना दरअसल सीएम गहलोत की रणनीतिक को और मजबुत करने का एक विचार है।
दरअसल युवा विधायकों को मौका देने के बाद और उनकी जीत के बाद सीएम अशोक गहलोत के फिर सीएम बनने के अवसर ज्यादा होंगे। क्योंकि इसके बाद उनके मुकाबले कद्दावर नेता मैदान में नहीं होंगे और सीएम के लिए कांग्रेस में कोई आयु सीमा तय नहीं है। बता दें कि अभी कांग्रेस की चार राज्यों में सरकार है और सभी जगह उम्रदराज सीएम हैं।