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तेज भूकंप के झटको से दिल्ली, एनसीआर समित हिला पूरा राजस्थान, जानिये भूकंप की तीव्रता

• LAST UPDATED : November 10, 2022

(जयपुर): नेपाल में मंगलवार यानी 8 नवंबर की रात आए तेज भूकंप के झटके पूरा राजस्थान में भी महसूस किए गए। ये झटके दिल्ली, एनसीआर से पास वाले राजस्थान के पूर्वी हिस्सों में आए। जयपुर, भरतपुर, अलवर, सीकर, दौसा समेत प्रदेश के 8 से ज्यादा जिलों में लोग दहशत में आ गए है। इन जिलों में रात करीब 1:57 बजे भूकंप के झटके लगे।

अधिकांश लोग थे गहरी नींद में

हालांकि ये हल्के थे और किसी तरह की जान या माल के नुकसान की खबर नहीं है, पर लोग काफी देर तक घबराए रहे। रात में जब भूकंप के झटके आए तो अधिकांश लोग उस समय गहरी नींद में थे।

इससे ज्यादातर लोगों को भूकंप के आने का पता ही नहीं चला। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.3 रिकॉर्ड की गई। इसका केंद्र हिमालय की गोद में बसे नेपाल के दोती जिले में जमीन से तकरीबन 10 किलोमीटर नीचे था।

भूकंप के झटके किये गये महसूस

सबसे पहेल रात करीब 1:57 पर भूकंप आया। इसकी तीव्रता 6.3 मापी गई। धरती का कंपन राजस्थान तक महसूस किया गया। पड़ोसी देश में आए भूकंप का जयपुर के अलावा, सीकर, झुंझुनूं, अलवर, भरतपुर, दौसा, करौली, सवाई माधोपुर के कुछ हिस्सों में भी हल्का असर रहा। इन जिलों में भी हल्के झटके महसूस किए गए।

नेपाल में भूकंप के झटके किये गये महसूस

नेपाल में रात करीब 1.57 बजे के बाद रात करीब 3:15 बजे और उत्तराखंड के पिथौड़गढ़ में सुबह 6:27 बजे भी भूकंप के झटके लगे। नेपाल में रात 3:15 बजे आए भंकप की तीव्रता 3.6 जबकि उत्तराखंड में 4.3 तीव्रता रही। प्रारंभिक जानकारी के मुताबि तीव्रता ज्यादा नहीं होने से दोनों जगहों पर इससे कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है।

उत्तराखंड भूकंप के झटके किये गये महसूस

उत्तराखंड के पिथौड़गढ़ में सुबह 6:27 बजे भी भूकंप आया। इसकी तीव्रता 4.3 मापी गई। भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक, भूकंप की असली वजह टेक्टोनिकल प्लेटों में तेज हलचल होती है। इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं।

रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। इस स्केल पर 2.0 या 3.0 की तीव्रता का भूकंप हल्का होता है, जबकि 6 की तीव्रता का मतलब शक्तिशाली होता है।

ऐसे मापते हैं भूकंप की तीव्रता

भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र (एपिसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। सैकड़ों किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है। धरती में दरारें तक पड़ जाती हैं। भूकंप का केंद्र कम गहराई पर हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे बड़ी तबाही होती है।

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