(इंडिया न्यूज),जयपुर: (Rajasthani language will soon be seen at international level) राजस्थानी भाषा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस विषय को बजट में शामिल किया। राजस्थान में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं और मान्यता नहीं मिलने के कारण इस दिशा में राज्य सरकार जल्द यूनिक कोड बनाने जा रही है।
राजस्थानी भाषा को सिखाने के लिए एक एप और एक सॉफ्टवेयर बनाया है ताकि सरकार की जितनी भी वेबसाइट है, उसके लिए एक कनेक्ट लग जाएगा और एक क्लिक करने पर पूरी की पूरी वेबसाइट राजस्थानी में कन्वर्ट हो जाएगी। राजस्थानी भाषा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने में मुख्यमंत्री आशोक गहलोत का एक ठोस और मजबूत कदम है।
पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशक डॉ. महेंद्र खडगावत ने बताया कि राजस्थान की 22 रियासतों के अभिलेखागार विभिन्न भाषाओं में है। इनमें से बीकानेर और जोधपुर के दस्तावेज मारवाड़ी में, जयपुर के ढूढांडी, कोटा के हाड़ौती, अलवर के मेवाती, गंगापुर के बांगरी सहित राज्य में बोली जाने वाली भाषाओं के कारण राजस्थानी भाषा एक नहीं होने से मान्यता नहीं मिल पा रही थी लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लाख प्रयासों के बाद भी अंतर्राष्ट्रयी स्तर पर राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिल रही थी क्योंकि राजस्थान का कोई यूनिक कोड नहीं है, मुख्यमंत्री गहलोत के प्रयासों से एक यूनिक कोड बनाने का प्रयास किया जा रहा हैं।
मुख्यमंत्री की बजट घोषणा है कि पुरानी राजस्थानी भाषा को सिखाने के लिए एक एप बनाया जाए, जहां एक ओर एप बनकर तैयार हो चुका है, तो वही राजस्थानी भाषा का सॉफ्टवेयर भी बनाया गया है ताकि राजस्थान सरकार की जितनी भी वेबसाइट है, उसके लिए राजस्थान का कनवेटर लग जाए। जैसे ही इसे क्लिक किया जाएगा। तुरंत पूरी की पूरी वेबसाइट राजस्थानी भाषा में कनवर्ट हो जाएगी। यह राजस्थानी भाषा के लिए मान्यता की दिशा में एक ठोस और मजबूत कदम है।
राजस्थान की भाषा में अभी जो फोन्ट तैयार किया गया है, वह बीकानेर और जोधपुर फोन्ट है। इसको बीकाणा और जोधाणा फोन्ट नाम दिया गया है। इसके आलावा जयपुर और हाड़ौती फोन्ट पर भी काम किया जा रहा है। जोकि आने वाले समय में जल्द ही पूरा हो जाएगा। राजस्थान में बोली जाने वाली अलग-अलग भाषाओं की बात करे तो, उसका भी एक फोन्ट जल्द बन जाएगा।
पुरानी राजस्थानी भाषा जिसे कहते हैं, अलग अलग भाषा में बोली जाने वाली राजस्थानी भाषा है। राज्य सरकार के सहयोग से राजस्थानी भाषा सिखने का एक एप बनकर तैयार है, जिससे आने वाली पीढ़ियां राजस्थानी भाषा सिख पाएंगी, तो वहीं राजस्थानी भाषा पर शोध और नए आयाम खुलेंगे। राजस्थान की भाषा में डेढ़ से दो करोड़ दस्तावेज वेबसाइट पर ऑनलाइन हैं। विभिन्न भाषा ढूढांडी, मारवाड़ी में हैं। उसमें कन्वर्टर लगाए जाएंगे, तो 70 से 80 प्रतिशत तक हिंदी में भाषा कनवर्ट कर दी जाएगी।
यह राजस्थानी भाषा शोध के क्षेत्र में एक बड़ा क्रांतिकारी कदम होगा। इससे बहुत सारी नवीन चीजे शोध जगत और इतिहास जगत के सामने आएंगी। देश-प्रदेश को लाभ मिलेगा क्योंकि पुरानी भाषाओं को पढने वाले बहुत कम लोग रह गए। इस कारण पुरातत्व विभाग ने एप बनाया है ताकि हमारे सभी लोग जुड सके और राजस्थान की भाषा सिख सके। आपको बता दे कि हमारी पुरानी राजस्थानी भाषा जिसे कहते है, वह अलग अलग बोलियों में बोले जाने वाली भाषा है।
राजस्थानी भाषा बनाने के लिए राजस्थान में विभिन्न बोली जाने वाली भाषाओं से स्वर के एक-एक शब्द बनाया जा रहा है। जब एक रूपता आएगी तो राजस्थानी भाषा बन जाएगी। देशभर में महाराष्ट्र के बाद इस तरह के सॉफ्टवेयर राजस्थान में बनकर तैयार हुआ। मुख्यमंत्री ने इसे बजट घोषणा में शामिल किया जल्द ही इसका उद्घाटन भी किया जाएगा। इसका लाभ भी शोधार्थियों और आमजन को मिलेगा। अगर कोई बीकानेर, जोधपुर फोन्ट में देखना चाहे या ढूढांडी फोन्ट में क्लिक करके देख सकता है। बता दे कि काम लगभग पूरा हो गया है। जल्द ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राजस्थानी भाषा भी देखी जा सकेगी।
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