(इंडिया न्यूज) माधोपुर : (Rajasthani girl Shatabdi Awasthi) कहते हैं न मेंहनत करने वालो की कभी हार नही होती, एक ऐसी की कहानी राजस्थान के सवाई माधोपुर की रहने वाली एक लड़की की है, जिनका नाम शताब्दी अवस्थी है। शताब्दी अवस्थी आज लोगों के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं। शताब्दी अवस्थी ने कुछ दिन पहले राजस्थान के अलवर में आयोजित पैरा एथलेटिक्स प्रतियोगिता में अपने संघर्ष के दिनों की कहानी सभी खिलाड़ियों को बताई।
शताब्दी अवस्थी ने बताया कि वह सवाई माधोपुर जिले की रहने वाली हैं और उन्होंने साल 2016 में अपने खेल के कैरियर की शुरुआत की थी। उन्होंने बताया कि साल 2006 में वह छत से गिर गई थी, जससे उनके पैरों में गंभीर चोट आ गई और उन्हें जीवनयापन करने के लिए व्हीलचेयर पर बैठना पड़ा।
शताब्दी अवस्थी ने कहा कि जिस समय ये हादसा हुआ, उस वक्त वह बहुत हताश हुई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत से बैंक में नौकरी मिल गई। इसके बाद शताब्दी के दोस्तों और घरवालों ने उन्हें खेलने के लिए प्रेरित किया और वह खेल के मैदना में वापस आ गई। वहीं, साल 2016 में उन्होंने पैरा ओलंपिक में पहली बार पैरा एथलीट दीपा और सुंदर संह गुर्जर को खेलते हुए देखा और फिर शताब्दी अवस्थी शॉट पुट और भाला फेंक प्रतियोगिताओं में भाग लेने लगी। शताब्दी ने जेवेलियन थ्रो प्रतियोगिता में भी भाग लिया है।
बता दें कि शताब्दी अवस्थी पैरा एथलेटिक्स खेलों में कई पदत जीत चुकी हैं और वह राजस्थान की पहली महिला पैरालंपिक हैं, जिन्होंने अतंर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में पदक जीतने का रिकॉर्ड बनााय है। शताब्दी अवस्थी ने अपने पहले ही टूर्नामेंट में सिलवर पदक जीता था। फिर उन्होंने राजस्थान ओपन पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में शॉटपुट स्पर्धा में मेडल अपने नाम किया और नेशनल में शामिल हुई। इसके बाद शताब्दी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहली बार में ही सिलवर पदक जीता।