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रावत-चांदना ने “राजनीतिक धर्म” निभा ऊँची की समाज की पगड़ी, अपने समाज के समर्पित नेता हैं दोनों

• LAST UPDATED : September 15, 2022

इंडिया न्यूज़, कल्पना वशिष्ठ: कड़े संघर्ष के बाद राजस्थान से दिल्ली तक अपनी सियासत का लोहा मनवा देने वाले कांग्रेस के दमदार मन्त्री शकुंतला रावत व अशोक चांदना ने 35 बिरादरी में गुर्जर समाज की साख बड़ा पगड़ी और ऊँची की है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो इन दोनों नेताओं ने ये साबित कर दिया कि “गुर्जर समाज” के खून में गद्दारी नहीं।

दोनों नेताओं ने संकट के समय कांग्रेस का पूरा साथ दिया व अशोक गहलोत की कुर्सी मजबूत की। विकट हालात में भी ये डटे रहे, इससे एक बड़ा उदाहरण 36 बिरादरी में पेश हुआ। दरअसल, ये हवा चली है कि अंतरराष्ट्रीय गुर्जर नेता सचिन पायलट का साथ दोनों मंत्रियों ने विधायक रहते नहीं दिया। इन्होंने पायलट से गद्दारी नहीं बल्कि कांग्रेस से ऐसे समय में वफादारी का उदाहरण पेश किया जब कांग्रेस संकट से गुजर रही है।

उत्तरी भारत में गुर्जर समाज की पहली बड़ी नेता हैं शकुंतला रावत

अगर आलाकमान पायलट को मुख्यमंत्री बनाता है, तो ये नेता उन्हें स्वीकार करते ये तय था। बानसूर की बात करें तो विधानसभा चुनाव में राजेश पायलट के केंद्रीय मन्त्री रहते रमा पायलट के सामने जगत दायमा डट गए थे और दोनों हार गए। जहाँ तक शकुंतला रावत का सवाल है, वे कड़े संघर्ष से उभरी हैं, आज वे उत्तरी भारत में गुर्जर समाज की पहली बड़ी नेता हैं।

बानसूर में वे 36 बिरादरी की चहेती लेकिन अपने समाज के लिए भी समर्पण पूरा है। बड़ा ओहदा होने के बावजूद वे गुर्जर समाज की मान मर्यादा संस्कार नहीं भूली। उन्होंने कभी पायलट का विरोध नहीं किया, बस कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा, इससे उनके साथ समाज की साख भी जमीं।

हर बिरादरी के प्रति है इनका समर्पण

जहाँ तक कद्दावर बेबाक मन्त्री अशोक चांदना का सवाल है, इस युवा तुर्क ने अपने काम के दम पर लोहा मनवाया। हर बिरादरी के प्रति इनका समर्पण इतना कि दिल्ली तक बड़ा नाम है। कांग्रेस के देश में तीसरे नंबर के नेता अशोक गहलोत ने इनको इसीलिए बड़ा ओहदा दिया।

ये उस पर खरा भी उतर रहे हैं। दोनों मंत्रियों ने अपने विभागों में काम के बल पर गहलोत की नज़र में बड़ी जगह बनाई। ऐसे में नाम गुर्जर समाज का हो रहा है। 36 बिरादरी इन गुर्जर मंत्रियों की चहेती है। यहां ये भी उल्लेखनीय है कि कोई भी नेता अपने समाज के लिए अलग हटकर बड़ा करता ही है,

देखने का नजरिया अलग हो सकता है। बहरहाल, शकुंतला रावत व अशोक चांदना को फिलहाल फुल बटा फुल नंबर जनता से लेकर गाँधी परिवार तक मिले हुए हैं। अगले एक महीने में बड़े बदलाव सम्भव है, उस दौरान इनके काम बोलेंगे।

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