India News (इंडिया न्यूज़), RPSC Paper Leak, जयपुर: राजस्थान में आए दिन किसी न किसी परिक्षा के पेपर लीक मामले सामने आते रहते है। लेकिन इस मामले के पीछे मास्टरमाइंड़ कौन है वो अब तक ठीक से पता नही चला था। जांच में सामने आया कि प्रश्न पत्र किसी परीक्षा केंद्र या प्रिंटिंग सेंटर से लीक नहीं हुए हैं तो पेपर लीक कहा से और किसने किए आज हम आपको पेपर लीक की असलियत बताएंगे। इस बार राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से वरिष्ठ अध्यापक परीक्षा के लिए आयोग सदस्य बाबूलाल कटारा को 6 पेपर सेट करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन परीक्षा से तीन हफ्ते पहले प्रश्न पत्र फाइनल होते ही कटारा इन्हें घर ले आया। उसके बाद शेरसिंह को हाथ से लिखा हुआ प्रश्न पत्र 60 लाख रुपए में बेच दिया।
एसओजी एडीजी अशोक सिंह राठौड ने बताया कि फाइनल पेपर कौन सा आना है, इसकी जानकारी भी शेरसिंह को बाबूलाल कटारा ने दी थी। यह जांच का विषय है कि फाइनल होने वाले प्रश्न पत्र की जानकारी कटारा को किसने दी। मामले में पांच से दस लोगों की गिरफ्तारी और हो सकती है।
शेरसिंह ने प्रश्न पत्र के सभी सेट बाबूलाल कटारा के अजमेर स्थित घर से एकत्रित किए। जिसे शेरसिंह शास्त्री नगर, जयपुर लेकर आया और उसको टाइप करने के बाद आरोपी भूपेंद्र सारण को 80 लाख रुपए में बेच दिया। उसके बाद भूपेंद्र ने पांच लाख रुपए व उससे अधिक में अभ्यर्थियों को प्रश्न पत्र बेच दिए।
जांच में सामने आया कि प्रश्न पत्र किसी परीक्षा केंद्र या प्रिंटिंग सेंटर से लीक नहीं हुए हैं। जिसके बाद यह जांच की गई कि प्रश्न पत्र के एक्सेस किस के पास हैं। जानकारी मिली कि आरपीएससी के माध्यम से पेपर लीक हुए। पेपर सेट करने की जिम्मेदारी सदस्य बाबूलाल कटारा को सौंपी गई थी। आरोपी शेरसिंह को यह बात पता थी इसलिए वह ड्राइवर गोपाल के माध्यम से कटारा तक पहुंच गया। बाबूलाल कटारा की ड्राइवर गोपाल के जरिए पेपर लीक मामले के आरोपी शेरसिंह मीणा से जान पहचान हुई थी। शेरसिंह ने बाबूलाल को मना लिया था।
जांच में पता चला है कि डूंगरपुर में रहने वाला कटारा के भांजे विजय डामोर बेरोजगार था इसलिए बाबूलाल ने भांजे विजय कटारा को साथ मिलाया। इससे सारे काम करवाता था। विजय ने पेपर लीक से पहले शेरसिंह से सोने का कड़ा भी लिया था। गिरोह के सदस्यों से पूछताछ के दौरान पुष्टि हुई कि आरपीएससी सदस्य पेपर लीक मामले में शामिल है। मंगलवार 18 अप्रैल की सुबह आरपीएससी के सदस्य बाबूलाल कटारा, उसके भांजे विजय डामोर और ड्राइवर गोपाल को गिरफ्तार किया गया।
शेरसिंह से प्रश्न पत्र मिलने के बाद भूपेंद्र सारण व सुरेश ढाका ने अभ्यर्थियों से संपर्क किया और हर अभ्यर्थी से 5 लाख से 8 लाख रुपए तक में सौदा तय किया। उन्हें बस में बैठा लिया। परीक्षा के कुछ समय पहले जैसे ही पेपर कोड का पता चला तो आरोपियों ने उस कोड का पेपर हल करवाना शुरू किया। आरोपी विजय कटारा प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी कर रहा था। बाबूलाल कटारा, उसके भांजे विजय डामोर और ड्राइवर गोपाल को बुधवार को उदयपुर में कोर्ट में पेश किया गया। 29 अप्रेल तक तीनों को रिमांड पर लिया गया है। एसओजी का दावा है कि जल्द ही सुरेश ढाका को गिरफ्तार किया जाएगा। इस संबंध में उसकी तलाश में डूंगरपुर और चित्तौड़गढ में दबिश दी जा रही है।
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