Tuesday, July 2, 2024
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अपनी मांगो को लेकर वीरांगनाओं ने कहा-दुगना पैकेज मुख्यमंत्री को हम देंगे, वो हमारे पति को वापस दे देंगे क्या?

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जयपुर: (What did the heroines say while demanding their demands) 9 मार्च की देर रात 3 बजे पुलिस ने धरने पर बैठी तीनों वीरांगनाओं को जबरदस्ती धरनास्थल से हटा दिया था। पुलवामा शहीदों की पत्नियां मंजू जाट और सुंदरी देवी अपने देवर के लिए सरकारी नौकरी मांग रही हैं। सरकार का तर्क है कि देवर को सरकारी नौकरी देने का नियमों में प्रावधान नहीं है।

शहीद हेमराज मीणा की पत्नी की मांग है कि सांगोद चौराहे पर भी उनकी मूर्ति लगाई जाए। एक स्कूल का नामकरण शहीदों के नाम पर करें। शहीदों की पत्नियों ने अब बदसलूकी करने वाले पुलिसवालों पर कार्रवाई करने की मांग भी जोड़ ली है।

अब घर से बाहर निकलने में भी शर्म आने लगी है-वीरांगनाएं

जयपुर में धरने पर बैठी वीरांगना मधुबाला मीणा फिलहाल कोटा में अपने गांव सांगोद में हैं। तीन दिन से उनके घर के बाहर पुलिस के जवान तैनात हैं। वीरांगना का कहना है कि घर में खाने-पीने का सामान खत्म होने लगा है। पड़ोसियों से लेकर काम चलाना पड़ रहा है। सामान लेने या मंदिर जाते हैं। तब भी पुलिस के जवान पीछे-पीछे चलते हैं।

अब घर से बाहर निकलने में भी शर्म आने लगी है, लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं। दरअसल, वीरांगना मधुबाला मीणा अपने शहीद पति की सांगोद में एक और मूर्ति लगाने की मांग को लेकर जयपुर में धरने पर बैठी थी। पुलिस ने उन्हें धरने से हटाकर घर छोड़ दिया था। अब वीरांगना का आरोप है कि मुख्यमंत्री उनसे डर गए हैं, इसलिए उन्होने पुलिस के जवान बैठा रखे हैं।

घर में नमक भी नहीं है, पड़ोसियों से लेना पड़ रहा है-वीरांगनाएं

वीरांगना मधुबाला ने राज्य सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा- गुर्जर आंदोलन पीड़ित परिवारों को नौकरी दी जा सकती है, तो दो वीरांगनाओं की मांगें क्यों नहीं मानी जा रही? वीरांगना का कहना है कि घर के बाहर पुलिस फोर्स लगी है। 4-5 पुलिसवाले अब हमेशा हमारे घर के सामने बैठे रहते हैं।

कुल तीन जगह पर वर्दी व सिविल ड्रेस में पुलिस का पहरा है। दिमाग खराब हो रखा है। घर में नमक भी नहीं है। पड़ोसियों से लेना पड़ रहा है। हम वीरांगनाएं आतंकवादी हैं क्या? ये लोग हमारे पति की रक्षा नहीं कर पाए। अब हमारी रक्षा कर रहे हैं। जब हमारे पति शहीद हुए थे, तब तो पुलिस नहीं लगाई। अब हमारे घर में पुलिस लगा रखी है।

रास्ते में कहीं भी गाड़ी नहीं रोकी-वीरांगनाएं

जयपुर की घटना को याद करते हुए वीरांगना मधुबाला ने बताया- उस दिन रात को हम सो रहे थे। अचानक बहुत सारी पुलिस की गाड़ियां चुपचाप आई थीं। उन्होंने आते ही जबरदस्ती बैठाना शुरू कर दिया। मैं नींद में थी। सुबह 8 बजे करीब सांगोद लाकर छोड़ दिया। मधुबाला ने आगे कहा- रास्ते में कहीं भी गाड़ी नहीं रोकी। न ही उन्हें पानी पिलाया गया। उनके साथ गाड़ी में 4 महिला पुलिस कॉन्स्टेबल और एक नाम का डॉक्टर था। इसके पास कुछ नहीं था। पुलिसकर्मियों ने धमकी दी कि दोबारा धरने पर बैठी तो बहुत डंडे मारेंगे।

मेरा सामान जयपुर ही रह गया था। मधुबाला ने यह भी कहा- अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई, तो वो दोबारा धरने पर बैठेंगी। वीरांगना का कहना है कि उनको झूठा बदनाम कर रखा है। मैंने वीरांगनाओं के साथ जयपुर में धरना किया है। केवल भरतपुर की वीरांगना सुंदरी देवी ने देवर से शादी कर रखी है। वीरांगना मंजू जाट ने नहीं की। सुंदरी देवी के सास-ससुर बूढ़े हैं। उसकी नौकरी की मांग बिल्कुल जायज है।

हम मेहनत मजदूरी करके बच्चों का पेट भर लेंगे-वीरांगनाएं

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कारगिल के समय राज्य सरकार ने बड़ा पैकेज दिया है, जो किसी राज्य ने नहीं दिया? वीरांगना ने मुख्यमंत्री को जवाब देते हुए कहा- मुख्यमंत्री ने जो पैकेज दिया है। उस पैकेज से भी दुगना पैकेज मुख्यमंत्री को हम देंगे, वो हमारे पति को वापस दे देंगे क्या? हम मेहनत मजदूरी करके बच्चों का पेट भर लेंगे। जमीन जायदाद बेचकर मुख्यमंत्री को तिगुना पैकेज वापस कर देंगे।

बस पति को वापस ला दे। सीएम को 4 साल हो गए पैकेज-पैकेज कहते। मंत्री नेता घर आकर क्यों बोल कर गए थे। इन्हें न्योता या पीले चावल देकर थोड़ी बुलाया था। सीएम का कहना है कि उनसे वीरांगनाएं मिलने आई थीं। उन्होंने मांग को गलत बताते हुए कहा कि हमारे बच्चों को नौकरी मिलनी चाहिए, किसी और को नहीं।

गुर्जर पीड़ित परिवारों के सदस्यों को नौकरी दी, तो हमे क्यो नही?-वीरांगनाएं

वीरांगना ने कहा-जब गुर्जर आंदोलन हुआ था। उसमें पीड़ित परिवारों के सदस्यों को क्यों नौकरी दी? अभी तो दो ही वीरांगनाएं नौकरी मांग रही हैं। गुर्जर आंदोलन में पीड़ित परिवारों में देवर, जेठ काका, सबको नौकरी दी। मुख्यमंत्री ने ही आदेश निकाले थे। जब उनको मिल सकती है तो वीरांगनाओं के देवर को क्यों नहीं मिल सकती? ये रीत सीएम गहलोत ने चलाई है।

वीरांगना ने कहा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हम से डर लगता है, कहीं हम वापस जाकर आंदोलन ना कर दें। हम तो केवल 3 वीरांगनाएं हैं। उनके पास पूरा प्रशासन है। हम जब प्रदर्शन करेंगे तो किसी से बोलकर नहीं करेंगे। देखते हैं, कितना प्रशासन- पुलिस लगाते हैं। हमारे फर्क नहीं पड़ेगा। जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होगी, तब तक हम ऐसे ही धरने देते रहेंगे।

मेरे पति देश की रक्षा करने बीजेपी-कांग्रेस से पूछ कर थोड़ी गए है-वीरांगनाएं

वीरांगना ने यह भी कहा- राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी की देशभर में हजारों मूर्तियां लग सकती हैं तो शहीद की तीसरी प्रतिमा क्यों नहीं लग सकती? हम छोटे बच्चे हैं क्या? हमें बीजेपी-कांग्रेस से कोई मतलब नहीं है। हमारे घर किसी का झंडा नहीं लगा। सरकार ने जो वादा किया, उसको पूरा करें। मेरे पति देश की रक्षा करने बीजेपी-कांग्रेस से पूछ कर थोड़ी गए हैं। बीजेपी कांग्रेस से कहकर शहीद थोड़ी हुए हैं।

 

सीएम गहलोत अपने बेटे को सेना में भेजकर देखें, तब पता लगेगा कितने घंटे बर्फ में खड़ा रहना पड़ता है। दरअसल, पुलवामा हमले में शहीद रोहिताश्व लांबा की पत्नी मंजू जाट और दो अन्य वीरांगनाओं सुंदरी देवी गुर्जर और मधुबाला मीणा के साथ जयपुर में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के आवास के बाहर धरने पर बैठी थीं।

 

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