Thursday, July 4, 2024
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Rashid Hasmi,Seema-Anju Story: देश की दो लव स्टोरी बन रही ग़ुस्से का शिकार, सीमा और अंजू को लोग बोल रहे आतंकवादी

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India News (इंडिया न्यूज़),Rashid Hasmi,Seema-Anju Story: सीमा-अंजू की कहानी, हिंदुस्तानी बनाम पाकिस्तानी। सीमा-अंजू का फ़साना, कितनी हक़ीक़त कितना फ़साना ? कुछ ऐसी तुकबंदी से लैस टीवी न्यूज़ चैनल्स ने आजकल अपना पर्दा गुलज़ार किया हुआ है। करें भी क्यों नहीं, सबकुछ तो है सीमा और अंजू में- ख़ूबसूरती, प्यार, इमोशन, ड्रामा, ट्विस्ट और सस्पेंस। सीमा पाकिस्तान से सचिन के प्यार में पागल होकर भारत आई, तो अंजू को नसरुल्लाह की मुहब्बत ने दीवाना बना कर पाकिस्तान बुला लिया। 24 साल पहले जावेद अख़्तर ने एक गीत लिखा, बोल थे-

पंछी नदिया पवन के झोंके
कोई सरहद ना इन्हें रोके
सरहद इंसानों के लिए हैं
सोचो तुमने और मैंने
क्या पाया इंसान हो के

आज 24 साल बाद जावेद अख़्तर भी सोचते होंगे कि उनके बोल सीमा और अंजू पर कितने फ़िट बैठते हैं। ये ‘इश्क़ वाला लव’ है। सीमा कहती है मर जाएगी लेकिन पाकिस्तान वापस नहीं जाएगी, अंजू कहती है भारत आऊंगी वो भी अपने पिया संग। इसे ही तो कहते हैं इश्क़ वाला लव, सुर्ख़ वाला, सोज़ वाला, फ़ैज़ वाला लव।

सीमा और अंजू की लव स्टोरी बनी ग़ुस्से का शिकार

औरत को देह समझने वाले सवाल उठा रहे हैं कि क़ानून क्यों तोड़ा। देश की दो लव स्टोरी ग़ुस्से का शिकार है, इसलिए नहीं कि क़ानून तोड़ा, बल्कि इसलिए कि समाज की दक़ियानूसी सोच की ज़ंजीरों को तोड़ दिया। सीमा और अंजू नए ज़माने की बुलंद आवाज़ हैं। भारत और पाकिस्तान दोनों देश की आवाम ने अब तक ये नहीं पूछा कि सीमा और अंजू का दिल पतियों से क्यों टूटा। पुरुष पूछेगा भी क्यों, उसकी सत्ता के शीशे कड़े फैसलों के पत्थर से जो टूट जाएंगे। मुझे याद नहीं कि मीडिया में एक भी आवाज़ ऐसी उठी हो जिसने पूछा हो कि सीमा तुम बताओ ना पति ने कोई ज़ुल्म तो नहीं किया, अंजू तुम बता दो ना कौन सा दर्द तुम्हें पति से दूर और नसरुल्लाह के करीब ले गया।

सीमा और अंजू प्रेमी हैं आतंकवादी नहीं

सीमा और अंजू बाग़ी हैं ग़द्दार नहीं, प्रेमी हैं आतंकवादी नहीं, प्रेमिकाएं हैं धोखेबाज़ नहीं। माहवारी से लेकर बच्चे पैदा करने की ज़िम्मेदारी, मां-बाप के घर से जड़ उखाड़ कर अनजाने इंसान को अपनाने तक का सफ़र सीमा और अंजू ने यूं ही तो नहीं तय किया होगा ना ? दोनों के माथे पर बेवफ़ा और ग़द्दार का तमग़ा लगाने वालों ने ये क्यों नहीं सोचा कि क्या पता घर की फ़ब्तियों ने सिसकियां दी हों, क्या पता शौहर के नाम पर जौहर करने का दंश झेला हो, क्या पता वफ़ा के नाम पर ख़ुद इन्हें बेवफ़ाई मिली हो। बिना वजह कोई बेवफ़ा नहीं होता, बिना वजह वफ़ा की डोर नहीं बंधा करती। सीमा तुम शक्ति की तासीर हो, अंजू तुम बग़ावत की तस्वीर हो। सच के लिए बग़ावत की जाए तो मुझे ये बग़ावत मंज़ूर है। सीमा-अंजू तुम दोनों को ‘इश्क़ वाला लव’ मुबारक।

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