(जयपुर): राजस्थान कैडर के ब्यूरोक्रेट देश के प्रधानमंत्री की पहली पसंद बन गए हैं। हाल ही उन्होंने राजस्थान की एक आईपीएस अफसर प्रीति जैन को केंद्रीय वित्त मंत्रालय में पोस्टिंग दी गई है।
राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में पहला मौका है, जब किसी आईपीएस को केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में पोस्टिंग मिली हो। आम तौर पर आईपीएस अफसर को सीबीआई, आईटीबीपी, सीआरपीएफ, बीएसएफ जैसे पुलिस या अर्द्ध सैन्य बलों में पोस्टिंग मिलती है।
वित्त मंत्रालय में नहीं लगाया जाता है। लेकिन पीएम मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आईपीएस प्रीति की अर्थशास्त्र में विशेष योग्यता देखते हुए यह निर्णय लिया है।
प्रीति जैन वर्ष 2009 बैच की आईपीएस अफसर हैं और उनके पास अर्थशास्त्र में एम. फिल. की डिग्री है। प्रीति की आईपीएस में टॉप-10 रैंक थी। इसलिए मूलत: राजस्थान (श्रीगंगानगर) की होने के बावजूद उन्हें राजस्थान कैडर मिला। वे टोंक, हनुमानगढ़ व दौसा जिले की पुलिस अधीक्षक भी रह चुकी हैं।
वित्त मंत्रालय और केंद्रीय कार्मिक व प्रशिक्षण मंत्रालय के स्तर पर प्रीति का इंटरव्यु लेने के बाद उन्हें डिप्टी सैक्रेटरी की पोस्ट पर लगाया गया है। अब वे सीधे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को रिपोर्ट करेंगी।
मोदी जब मई 2014 में प्रधानमंत्री बने थे, तब उन्होंने वित्त मंत्रालय को मजबूत करने और बैंकों में भारत के प्रत्येक नागरिक (लगभग 100 करोड़ लोग) का बैंक खाता खुलवाने पर जोर दिया।
मोदी ने तब भारत की इकॉनॉमी को विश्व के टॉप 5 देशों में शामिल करने का लक्ष्य तय किया था। तब उन्होंने पूरे देश से बेस्ट आईएएस अफसरों को वित्त मंत्रालय में लगाया। उनमें तीन अफसर राजस्थान कैडर के थे।
अच्छे अफसरों पर देश भर में जब निगाहें दौड़ाई गई तो सबसे पहले राजस्थान के तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव महर्षि (1980 बैच) को पीएम मोदी ने चुना। महर्षि को उन्होंने वित्त मंत्रालय में पोस्टिंग (फाइनेंस सेक्रेटरी) दी। यहां तक कि महर्षि को रिटार्यमेंट के बाद भी पीएम मोदी ने कैग (महालेखा) का महानिदेशक बनाया।
जब वे देश की इस टॉप पोस्ट्स से रिटायर्ड हुए तो उन्हें केंद्र सरकार ने पद्म विभूषण (जनवरी-2022) से नवाजा। ऐसा राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में पिछले 30 साल में पहली बार हुआ।
सुनील अरोड़ा (1981 बैच) राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैंरोसिंह शेखावत (1993-98) और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (2003-08) दोनों के सीएमओ में सचिव और प्रमुख सचिव रहे थे। वे राजस्थान के अतिरिक्त मुख्य गृह सचिव (2013) भी रहे। अरोड़ा भी पीएम मोदी के विश्वस्त अफसरों में शामिल थे।
पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर उन्हें कई मंत्रालयों में सचिव पद पर पोस्टिंग मिली। अरोड़ा जब रिटायर्ड हुए तो उन्हें देश का चुनाव आयुक्त बनाया गया। बाद में वे देश के मुख्य चुनाव आयुक्त बनाए गए।
सुभाष चंद्र गर्ग (1982 बैच) को राजस्थान ही नहीं बल्कि देश की ब्यूरोक्रेसी में फाइनेंस के मामलों में एक्सपर्ट माना जाता है। वसुंधरा राजे ने अपने दूसरे कार्यकाल (2013-2018) में उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस स्टेट में बुलाकर वित्त विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव बनाया था।
इससे पहले जब मोदी पीएम बने तो वे 2014 में आइएएस गर्ग को वित्त मंत्रालय ले गए थे। गर्ग ने वहां एक सफल पारी को अंजाम दिया और केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में सचिव के शीर्ष पद पर पहुंचे। बाद में उन्हें भारत की तरफ से विश्व बैंक में प्रतिनिधि के रूप में पोस्टिंग दी गई।
महर्षि, अरोड़ा और गर्ग ने जो हासिल किया वो राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी के 75 सालों के इतिहास में किसी भी आईएएस अफसर को नहीं मिला। यह संयोग है कि तीनों ही अफसरों को एक ही प्रधानमंत्री के कार्यकाल में यह उपलब्धियां हासिल हुईं।
राजस्थान कैडर के आईएएस अफसर पहले भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में जाते रहे हैं, लेकिन यह पहला मौका है जब 29 अफसर केंद्रीय मंत्रालयों में हैं। आम तौर पर यह संख्या 15-20 तक रही है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में राजस्थान कैडर को यह गौरव पहली बार मिला है।
हाल ही राजस्थान से सुधांश पंत को जहाजरानी मंत्रालय में सीधे सचिव के पद पर लगाया गया है। पिछले दो दशक में वे राजस्थान के पहले आईएएस अफसर हैं, जिन्हें सीधे किसी केंद्रीय मंत्रालय में सचिव के पद पर लगाया गया है। आम तौर पर केंद्र में पहली पोस्टिंग डिप्टी सचिव, अतिरिक्त सचिव, संयुक्त सचिव जैसे पदों पर ही होती है।
पंत को राजस्थान काडर ही नहीं बल्कि देश भर के ब्रिलियंट अफसरों में गिना जाता है। डेढ़ साल पहले पंत दिल्ली में केन्द्रीय मंत्रालय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय में ही तैनात थे। फिर उन्हें राजस्थान बुलाया गया। वे आए तो उन्हें जलदाय विभाग का अतिरिक्त मुख्य सचिव बनाया गया। यहां तीन तबादलों के बाद करीब 9 महीने पहले खुद पंत ने वापस दिल्ली जाने के लिए आवेदन किया।
उनका वहां पैनलमेन्ट भी हो गया था, लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें दिल्ली जाने की इजाजत ही नहीं दी। एक महीना पहले ही उन्हें दिल्ली जाने की इजाजत मिली है। वहां केन्द्रीय कार्मिक व प्रशिक्षण मंत्रालय (डीओपीटी) ने उन्हें जलमार्ग व जहाजरानी मंत्रालय में सचिव (सैक्रेटरी-ओएसडी) के पद पर लगाया है।
केंद्रीय प्रतिनियुक्त में राजस्थान से जो अफसर तैनात हैं, उनमें से नीलकमल दरबारी, रोहित कुमार सिंह, संजय मल्होत्रा, सिद्धार्थ महाजन, रजत कुमार मिश्रा, सुधांश पंत कुछ चुनिंदा अफसर हो सकते हैं, जो अगले कुछ वर्षों में विभिन्न मंत्रालयों या केंद्रीय आयोगों में टॉप पोस्ट्स पर नजर आ सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इनमें से कोई अफसर महर्षि, अरोड़ा या गर्ग जैसी ब्यूरोक्रेटिक हाइट्स को छू सकेगा या नहीं।
केन्द्र अगर चाहे तो जरूरत पड़ने पर राजस्थान से अभी 30 आईएएस अफसर को और मांग सकता है। राजस्थान काडर में फिलहाल आईएएस के 313 पद स्वीकृत हैं। इनके एवज में 251 ही काम कर रहे हैं। अब 9 नए अफसर और आए हैं, तो यह संख्या 260 हो गई है।
देश की शीर्षस्थ सेवा के पदों के आवंटन में राजस्थान ना जाने क्यों पिछड़ गया, जबकि देश में जब यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग-दिल्ली) जब आईएएस का परिणाम घोषित करती है, तब सर्वाधिक आईएएस के चयन के संदर्भ में उत्तरप्रदेश के बाद सर्वाधिक अफसर राजस्थान से ही चयनित होते हैं।
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