(जयपुर): गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह से हुई हार का राजस्थान में कांग्रेस की आंतरिक राजनीति पर असर अवश्य होगा। गुजरात विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वरिष्ठ पर्यवेक्षक और प्रदेश के पूर्व चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा प्रभारी थे।
हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए शर्मा ने प्रभारी पद से इस्तीफे की पेशकश की है। गहलोत ने गुजरात में राजस्थान माडल का वादा किया था।
गहलोत ने गुजरात की चुनावी सभाओं और मीडिया से कहा था कि यदि कांग्रेस सत्ता में आई तो राजस्थान की तर्ज पर यहां भी पुरानी पेंशन योजना लागू होगी। नि:शुल्क जांच, नि:शुल्क दवा, अंग्रेजी माध्यम के सरकारी स्कूल खोलने सहित कई वादे किए थे। हालांकि गुजरात के मतदाताओं पर इसका असर नहीं हुआ और कांग्रेस की बुरी तरह से हार हुई।
गुजरात में पार्टी की हार के बाद पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमा एक बार फिर गहलोत के खिलाफ सक्रिय होने लगे हैं। पायलट समर्थकों का कहना है कि गहलोत के वरिष्ठ पर्यवेक्षक होने के बावजूद गुजरात में कांग्रेस की बुरी तरह से हार हुई। वहीं पायलट हिमाचल के पर्यवेक्षक थे, जहां कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है।
गुजरात-हिमाचल प्रदेश नतीजों पर गहलोत ने अब तक कोई बयान नहीं दिया है। गहलोत ने गुजरात में राज्य सरकार के आधा दर्जन से ज्यादा मंत्रियों, कई विधायकों एवं नेताओं को चुनाव अभियान का जिम्मा सौंपा था। राजस्थान से सटे गुजरात के इलाकों में गहलोत की टीम एक महीने से काम कर रही थी। लेकिन पार्टी की बुरी तरह से हार हुई है।
पायलट समर्थकों का मानना है कि हिमाचल में जीत का उन्हे फायदा अवश्य मिलेगा। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की राजस्थान में कमान वैसे तो पूरी तरह से गहलोत के हाथ में है। लेकिन पायलट समर्थक मजबूती से इसमें शामिल हो रहे हैं।
शुक्रवार को यात्रा के विश्राम का दिन था। इस दिन राहुल अपनी मां सोनिया गांधी का जन्मदिन मनाने सवाई माधोपुर गए थे। गहलोत जयपुर और पायलट भरतपुर दौरे पर थे।