India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Rajasthan Politics: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने स्वीकार किया है कि राजस्थान में उनकी पार्टी की कुछ सीटें कम हो सकती हैं। यह बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य के सात विपक्षी विधायक लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और भाजपा को मजबूत विपक्ष का सामना करना पड़ रहा है।
शाह का बयान बीजेपी को बना सकता है चिंतित
केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि राजस्थान में उनकी पार्टी की “ज्यादा नहीं, एक-दो सीट कम हो सकती हैं।” यह बयान राजस्थान बीजेपी के नेताओं को चिंतित कर सकता है, क्योंकि वे राज्य में सभी 25 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करने का दावा कर रहे थे।
शाह के इस बयान के बाद कांग्रेस नेता भी अपनी सभी सीटों पर जीत हासिल करने का दावा कर रहे हैं। इस प्रकार, राजस्थान में लोकसभा चुनाव की रणनीति और समीकरण बदल सकते हैं।
सात विपक्षी विधायक बने बीजेपी के लिए चुनौती
लेकिन राजस्थान में बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्य के सात विपक्षी विधायक हैं, जो इस बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। ये विधायक विधानसभा चुनाव जीतने के बाद लोकसभा चुनाव में भी अपनी ताकत दिखा रहे हैं और न केवल मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं, बल्कि भाजपा के सारे समीकरणों को भी बिगाड़ दिया है।
विपक्षी विधायक और उनकी सीटें
वर्तमान में कांग्रेस से विधायक हरीश मीणा टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा सीट से, ललित यादव अलवर लोकसभा सीट से, बृजेंद्र ओला झुंझुनूं लोकसभा से, दौसा विधायक मुरारी लाल मीणा दौसा लोकसभा सीट से, हनुमान बेनीवाल नागौर लोकसभा सीट से, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के विधायक राजकुमार रोत बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट और बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से शिव सेना के निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
विधायकों के लिए प्रतिष्ठा दांव पर
इन विधायकों के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है, लेकिन उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। अगर वे लोकसभा चुनाव जीतते हैं, तो वे देश की सबसे बड़ी पंचायत, संसद भवन में पहुंचेंगे। हालांकि, अगर वे हार जाते हैं, तो भी वे विधायक के रूप में राजस्थान में काम करने का अवसर रखेंगे।
लेकिन यह तय है कि इन बड़े और कद्दावर नेताओं की चुनावी मैदान में मौजूदगी से इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प और रोचक हो गया है, और भाजपा के लिए परेशानी भरा है।
बीजेपी की दुविधा
बीजेपी के लिए यह स्थिति एक दुविधा है। एक तरफ, वह राजस्थान में सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज करना चाहती है, लेकिन दूसरी ओर, विपक्षी विधायकों की मौजूदगी और उनकी लोकप्रियता को देखते हुए, यह लक्ष्य प्राप्त करना मुश्किल लग रहा है।
बीजेपी को यह समझना होगा कि इन विधायकों के अलावा, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के भी उम्मीदवार मौजूद हैं, जो भाजपा के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं। इसलिए, भाजपा को अपनी रणनीति को समायोजित करना होगा और विपक्ष की ताकत को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
कांग्रेस का दावा
वहीं, कांग्रेस ने दावा किया है कि वह राजस्थान की सभी लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करेगी। पार्टी के नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि राज्य में विपक्षी विधायकों की मौजूदगी उनके लिए एक बड़ा फायदा साबित होगी।
कांग्रेस का कहना है कि इन विधायकों की लोकप्रियता और जनाधार से उसे फायदा मिलेगा, और वे भाजपा के समीकरणों को बिगाड़ने में कामयाब रहेंगे।
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