India News (इंडिया न्यूज), Rajasthan News: राजस्थान के झालावाड़ जिले के अकलेरा कस्बे में पूरी की पूरी ही हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी चोरी हो गई। आश्चर्य जनक बात तो यह है कि इस कॉलोनी के अंदर 2012-13 में बोर्ड की ओर से 372 घर बनाए थे, लेकिन इसमें आज ना तो घर है और ना ही कोई कॉलोनी, ना खिड़कियां है और ना ही दरवाजे। पूरी तरह से यह कह सकते हैं कि हाउसिंग बोर्ड की घरौंदा अफॉर्डेबल हाउसिंग स्कीम के तहत जो 372 घर बनाये थे, वह पूरी तरह से वहां से गायब या ये कहे की चोरों ने कॉलोनी में ईंट पत्थर भी नहीं छोड़े, उनको भी चोर चोरी कर के ले गए। अब यहां केवल बंजर जमीन का मैदान नजर आ रहा है या कुछ टूटे फूटे घरों के खंडहर की दीवारें नजर आती है। इनको देखकर लगता है कि इमारत कभी बुलन्द थी। दरसल 2012-13 में राजस्थान के झालावाड़ जिले के अकलेरा कस्बे में हाउसिंग बोर्ड की घरौंदा अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम के तहत भोपाल रोड़ पर 372 घर की कॉलोनी बनाई गई थी।
वही उस समय काल के अनुसार कॉलोनी कस्बे से दूर होने की वजह से 80 % मकान नहीं बिके। 2019 में बोर्ड ने 50 % छूट की स्कीम निकाली तो सभी बिक गए। लेकिन कॉलोनी में खरीद कर परिवार रहने या बसा नही। मकान मालिको ने खरीद कर ताले लगाकर छोड़ दिये। हैरत तब हुई कि जनवरी 2023 तक पूरी कॉलोनी सुरक्षित थी, लेकिन इस कॉलोनी पर चोरो की ऐसी नजर पड़ी की कॉलोनी में बने घर ही गायब हो गए। घर के खिड़की, दरवाजे सहित अन्य सामान भी गायब हो गए।। जब इनके मालिकों ने घर देखने तो वो हैरत में पड़ गए कि उनका घर कहा है। पूरी कॉलोनी ही गायब मिली। चारों तरफ मलबा ही मलबा था। यानी 8 महीने में कॉलोनी के 372 घर व 2 पार्क गायब हो गए। घर किसने चोरी किए, इसके बारे में न तो मालिकों को कुछ पता है और ना ही हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों को इसकी कोई खबर है। अकलेरा पुलिस एंव स्थानीय प्रशासन को भी कॉलोनी गायब होने की भनक नहीं लगी। अकलेरा थाना अधिकारी लक्ष्मी चंद बैरवा ने बताया – इसकी किसी ने अभी तक कोई शिकायत नही दी और न ही कोई जानकारी है
खरीदारों को कॉलोनी गायब होने की जानकारी मिल तो वह बोर्ड दफ्तर के चक्कर लगाने लगे। कॉलोनी से उनके प्लाट तक लापता हैं। जिन्होंने मकान खरीदे थे, लेकिन अब प्लॉट का भी पता नहीं चल रहा की उनका घर कहा बना हुआ था। कई घरों की तो नींव तक गुम गई है। खरीदारों की मांग है कि हाउसिंग बोर्ड कम से कम जमीन की फिर से मार्किंग तो करा दे , ताकि पता चल सके कि किसका प्लॉट कहां है।
कॉलोनी में अगर बचा है तो वो बिजली के खम्भे है। जी हां हास्यास्पद बात यह है कि खम्बो के देखकर लगता है कि यहां कोई नई कॉलोनी की प्लानिंग होने वाली है या नई कॉलोनी डवलप हो रही है। तो वही, खरीदारों का तो यह भी कहना है कि बोर्ड अगर उनके घरों की जगह की उसकी जमीन प्लाट की मार्किंग कर बता दे तो, वो नया निर्माण कर सके।
बोर्ड के इंजीनियर आर एम कुरेशी का कहना है – अकलेरा स्थित हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में कई लोगों ने एक की जगह चार-चार घर नीलामी के द्वारा लिए थे। लेने के बाद वह वहां बसे ही नहीं, कुछ लोगों ने नया निर्माण को लेकर भी स्वयं इनको तोड़कर गिरा दिए है। वही इनको मालिकाना अधिकार दे दिया तो जिम्मेदारी भी इनकी ही बनती हैं। पजेशन लेने के बाद मकान की सुरक्षा की जिम्मेदारी बोर्ड की नहीं बल्कि मकान मालिक की होती है । अकलेरा में सभी घरों का पजेशन दिया जा चुका है। फिर भी प्लाट के मार्किंग की समस्या है तो वो बोर्ड करवा देगा।
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