India News ( इंडिया न्यूज ), Lokesh Bhardwaj, Rajasthan News: कोटपूतली-बहरोड़ जिले की ग्राम पंचायत कल्याणपुरा कलां के गांव कुहाड़ा में स्थित छापाला भैरू बाबा मंदिर के 15 वें वार्षिकोत्सव पर मंगलवार को आयोजित हुए लक्खी मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। मंदिर पुजारी रोहिताश बोफा ने बताया की मन्दिर में स्थित भैरू बाबा की मूर्ति पर विशेष श्रृंगार किया गया। भैरू बाबा को दही चूरमें का भोग लगाया गया। भण्डारें की व्यवस्था में श्रद्धालु पुरे मनोभाव से जुटे हुए थे। इस दौरान कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गृह राज्यमंत्री राजस्थान सरकार जवाहर सिंह बेढम ने कहा कि भाजपा सरकार हमारे देश को विश्व गुरु बनाने के लिए प्रयासरत है। हम सब सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे है, भाजपा की हर जन कल्याणकारी योजना हर अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचाना ही भाजपा कार्यकर्ता की जिम्मेदारी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कोटपूतली विधायक हंसराज पटेल ने कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया। तिजारा विधायक महंत बालकनाथ योगी ने कहा कि मन के मंदिर को पवित्र रखना चाहिए, राम राज्य स्थापित हुआ है भगवान राम के आदर्शो पर चलकर सनातन संस्कृति का पालन करे, समय जरूर बदलता है लेकिन जीत उसी की होती है जो धर्म के मार्ग पर चलता है। मेले के दौरान श्रीश्याम हॉस्पिटल, प्लस हॉस्पिटल व निम्स हॉस्पिटल के चिकित्सकों द्वारा नि:शुल्क सेवाएं दी गई। प्रसादी के लिए बनाए गये दाल चूरमें व दही को ट्रैक्टर की सहायता से एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले जाया गया।
मेले में व्यवस्था बनाएं रखने के लिए 21 स्कूलों के 5000 विद्यार्थी, 3000 पुरूष वॉलिटिंयर्स व 500 महिला स्वयंसेवक तैनात रहे। इसके अलावा मेले में एडीएम योगेश कुमार डागुर, एसडीएम मुकुट चौधरी, तहसीलदार सौरभ गुर्जर, एएसपी नेम सिंह, सरूण्ड थाना प्रभारी राजेश यादव सहित कोटपुतली, सरुण्ड, प्रागपुरा व पनियाला थाने से पुलिसकर्मियों ने व्यवस्था संभाली।
इस मौके पर मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम रहे, अध्यक्षता कोटपूतली विधायक हंसराज पटेल ने की, वही विशिष्ट अतिथि तिजारा विधायक महंत बालक नाथ योगी, उतर प्रदेश के सरदाना विधायक अतुल प्रधान, मांडल विधायक उदयलाल भड़ाना, पूर्व विधायक रामचन्द्र रावत, पूर्व कैबिनेट मंत्री हेमसिंह भड़ाना सहित बड़ी संख्या में राजनेता उपस्थित रहे।
मेले में हेलीकाप्टर से बार-बार पुष्प वर्षा की गई जो आकर्षण का केन्द्र रही। इसको देखने के लिए आसपास लोगो की भीड जमा रही। इसके अलावा लोक नृत्य भी आकर्षण का केंद्र रहे।
भैरू बाबा के 15 वां वार्षिकोत्सव पर धमाल कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें मुकेश एण्ड पार्टी जमालपुर, शिम्भू एण्ड पार्टी मूसनौता, मक्खनराम एवं शिम्भू एण्ड पार्टी ढाणी बनकी पाटन, बीरबल एण्ड पार्टी देवीपुरा, अलगोजा एण्ड पार्टी, मुखराम बगड़ावत एण्ड पार्टी मूसनौता, हरिराम बोफा व ख्यालीराम हवलदार जैनपुरवास आदि कलाकारो ने धमाल की प्रस्तुति दी।
135 क्विंटल आटा, 70 क्विंटल सूजी, 27 क्विंटल देसी घी, 94 क्विंटल खांड, 20 क्विंटल मावा, 4 क्विंटल काजू, 4 क्विंटल बादाम, 4 क्विंटल किशमिश, 4 क्विंटल मिश्री कटिंग, 4 क्विंटल खोपरा, 54 क्विंटल दूध को मिलाकर प्रसादी तैयार की गई। इसके आलावा 73 क्विंटल दही परोसा गया।
40 क्विंटल दाल, 30 पीपा सरसों तेल, 5 क्विंटल टमाटर, 2 क्विंटल हरी मिर्च, 1क्विंटल हरा धनिया, 60 किलो लाल मिर्च, 60 किलो हल्दी, 40 किलो जीरा से दाल तैयार की गई। परोसने के लिए 2 लाख पतल, चाय के लिए 4 लाख कप व पानी के लिए 10 टैंकर खड़े करवाए गए।
बता दे की मेले को लेकर ग्रामीणों में काफी उत्साह देखने को मिलता है। इसको लेकर लगभग एक माह से ग्रामीण जन सहयोग से भंडारे की तैयारियों में जुटे जाते है। ग्रामीण इस लक्खी मेले को इतने व्यवस्थित ढ़ंग से संपन्न कराते है कि पुलिस प्रशासन भी हैरान रहता है। मेले में आने वाले हजारों वाहनों के लिए ग्रामीण पार्किंग की व्यवस्था तक खुद संभालते है। ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास का यह मेला अद्भुत उदाहरण है। हैलीपेड से लेकर बाबा के दर्शनों के लिए जगह-जगह ग्रामीण ही वॉलेन्टियर्स के रूप में तैनात होते है। सर्वप्रथम सन् 2010 में प्रथम वार्षिकोत्सव में 70 क्विंटल चूरमे की प्रसादी बनाई गई थी। उसके बाद हर वार्षिकोत्सव पर प्रसादी के लिए बनाए गए चूरमे को बढ़ाया गया। चूरमे के लिए बनी बाटियों को थ्रेसर से पिसाई कर चूरमे में जेसीबी की सहायता से खांड, घी, काजू, बादाम, किशमिश व खोपरा मिलाया जाता है। प्रसादी के लिए बनाए जा रहे चूरमें की बाटियों को जगरे से निकालने के बाद कंप्रेसर से बाटियों की सफाई की जाती है ताकि इनमें मिट्टी व राख के कण नहीं रहे। इसके अलावा चूरमे को मिलाने के लिए भी कार्यकर्ता हाथ व पांव में पॉलिथीन पहनकर ही कार्य करते हैं। मंदिर के वार्षिकोत्सव पर सवाई माधोपुर, ग्वालियर, झालावाड़, कोटा, पीपलखेड़ा, मुरैना, मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली सहित दूर-दराज से श्रद्धालु भैंरू बाबा के दर्शन करने आते हैं। मंदिर के वार्षिकोत्सव में ग्रामीण एकजुट होकर सहयोग करते हैं, वार्षिकोत्सव पर कार्यकर्ताओं को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी जाती है। ग्रामीण ट्रैक्टर ट्रॉली, थ्रेसर, कंप्रेसर इत्यादि की सुविधा भी अपने स्तर पर ही देते हैं। मेले को लेकर ग्रामीणों में अपार उत्साह का माहौल देखने को मिलता हैं। ग्रामीणों द्वारा मेले की व्यवस्था बेहद व्यवस्थित ढ़ंग से की जाती हैं। जो बाहर से आने वाले लोगों के लिए आश्चर्य का केन्द्र बनी हुई हैं। हजारों की संख्या में वाहनों की पार्किंग की जिम्मेदारी ग्रामीणों द्वारा उठाई जाती हैं। विभिन्न जगहों पर स्वयं ग्रामीण ही स्वयंसेवक के रूप में तैनात रहते हैं। ग्राम एकता का यह मेला नायाब उदाहरण हैं। वहीं दूसरी ओर मेले में व्यवस्था के लिए पुलिस प्रशासन भी चाक-चौबन्द रहता है। इसके लिए करीब चार थानों से पुलिस जवानों की तैनाती की जायेगी। मौके पर एम्बूलेंस, फायर बिग्रेड आदि संसाधन भी तैनात रहेगें।
सोनगिरा पोषवाल की जुड़ी अटुट आस्था :- सरपंच विक्रम छावड़ी ने बताया कि इस धाम के पीछे भैंरू बाबा के परम शिष्य सोनगिरा पोषवाल प्रथम की अटूट आस्था की कहानी है। ग्रामीणों ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार सोनगिरा पोषवाल प्रथम भैरूजी का परम भक्त था। जो कि भैंरू बाबा की मूर्ती को कुहाड़ा गांव में स्थापित करना चाहता था। भैरू बाबा की मूर्ती लाने कांशीजी चला गया। जिस पर भैरू बाबा ने स्वप्न में दर्शन देकर सोनगिरा पोषवाल प्रथम से अपने बड़े बेटे की बली मांगी । जिस पर सोनगिरा पोषवाल प्रथम ने बेटे की बली देकर भैंरू बाबा की मूर्ती लेकर चल देता है। भैरू बाबा उसके इस बलिदान व परीक्षा से खुश होकर उसके पुत्र को जीवित कर देते है। सोनगिरा पोषवाल प्रथम व उसके पुत्र ने पंच पीरो के साथ कुहाड़ा गांव जिसका पौराणिक नाम अजीतगढ़ चौसला बारहगोठ में लाकर विक्रम संवत् 705 ई बैशाख सुदी पंचमी को वार शनिवार को स्थापना की गई थी। वर्तमान में स्थापना दिवस पर विशाल भण्डारे व जागरण का आयोजन किया जाता है।
खेजड़ी वृक्ष की भी होती है पूजा- सोनगिरा पोषवाल प्रथम के सोनगिरा द्वितीय पैदा हुआ। जिसने अपनी बेटी पदमा पोषवाल की शादी बगड़ावत सवाई भोज के साथ मिति बैशाख सुदी नवमी वार रविवार संवत् 934 में की। जिसमें पंचदेव खेजड़ी वृक्ष का मंडप लगाया गया जो वर्तमान में भी मौजुद है। जिसकी आज भी पुजा होती है। पदमा पोषवाल ने वरदान दिया कि जिस स्त्री के संतान सुख नहीं है वह मंडप में उपस्थित जड़ के नीचे से निकलने पर उसको संतान सुख प्राप्त होगा। पोषवाल गौत्र पर इसका वरदान लागु नहीं होता है। तभी से आसपास के क्षेत्र में भैरू बाबा व खेजड़ी के वृक्ष की पूजा होने लगी तथा हजारों की संख्या में लोग इसके दर पर आने लगे।
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