(जयपुर): राजस्थान हाई कोर्ट की जोधपुर पीठ के जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस कुलदीप माथुर की पीठ ने अनुकंपा नियुक्ति पर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है. पीठ ने कहा है कि मृतक के बच्चे को नाजायज और वैध में वर्गीकृत करके किसी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता.
राजस्थान हाई कोर्ट की पीठ ने जोधपुर जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में तबला वादक मृतक कर्मचारी की पहली पत्नी के पुत्र की याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया है कि, दूसरी पत्नी से पैदा संतान अनुकंपा नौकरी पाने की हकदार है.
राजस्थान हाईकोर्ट की जस्टिस संदीप मेहता और कुलदीप माथुर की पीठ ने अपने निष्कर्ष के लिए मुकेश कुमार बनाम भारत संघ 2022 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर भरोसा किया. जिसमें कोर्ट ने यह माना है कि अनुकंपा नियुक्ति में मृतक कर्मचारी के बच्चों को वैध और नाजायज के रूप में वर्गीकृत करके केवल वंश के आधार पर किसी व्यक्ति के खिलाफ भेदभाव नहीं किया जा सकता.
पीठ ने हेमेंद्र पुरी की ओर से दायर एक इंट्रा कोर्ट अपील पर विचार करते हुए उक्त टिप्पणी की थी. जिसमें कहा था कि अभिभावकों की शादी की वैधता को लेकर मृतक आश्रितों के बच्चों को अनुकंपा नियुक्ति देने के मामले में भेदभाव नहीं किया जा सकता. राजस्थान हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि मृतक कर्मचारी की दूसरी पत्नी का बेटा अन्य सभी योग्यताएं पूर्ण करता है तो उसे 3 महीनें के भीतर नियुक्ति प्रदान की जाए.
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के संगीत विभाग में तबला वादक के पद पर मृतक हरीश पुरी कर्मचारी थे. उनकी दो पत्नियां थी. हरीश पुरी की मौत के बाद दूसरी पत्नी के पुत्र ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए अप्लाई किया, और जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय ने उन्हें अनुकंपा नौकरी दे दी.
इस पर पहली पत्नी की संतान ने इसको नाजायज बताते हुए कोर्ट में अपील की. उसमें उसने बताया दूसरी पत्नी का पुत्र किसी भी दस्तावेज में शामिल नही हैं. राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ के जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस कुलदीप माथुर ने सुनवाई के बाद अपील को खारिज करते हुए अपना फैसला सुना दिया.