अजीत मैंदोला, जयपुर:
Rajasthan Budget 2022-23 : राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल कर कांग्रेस को बड़ा मुद्दा दे दिया। उत्साहित कांग्रेस ने तुरंत पेंशन बहाली के फैसले को राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बना केंद्र सरकार और गैर कांग्रेसी राज्यों पर भी दबाव बनाना शुरू कर दिया।
कांग्रेस की राज्य इकाइयों में भी गहलोत के फैसले से उत्साह का माहौल बना है। कांग्रेस को लग रहा है गहलोत के बजट में की गई घोषणाएं पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर संजीवनी दे सकती हैं। पेंशन बहाली के फैसले के साथ कृषि बजट, चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना को 5 से 10 लाख करना और एक और अहम फैसला शहरों के बेरोजगारों को भी मनरेगा की तरह 100 दिन की रोजगार गारंटी ऐसे मामले हैं जो सीधे आम आदमी को प्रभावित करते हैं।
गहलोत की घोषणाओं का दूसरे राज्यों पर दबाब आना तय है। कांग्रेस अपने दूसरे राज्यों में इन फैसलों को लागू करवाएगी भी। पेंशन बहाली ने तो देश भर के सरकारी कर्मचारियों के करोड़ों परिवारों में उम्मीद की किरण जगा दी। 2004 के बाद नोकरी पर लगने वाले चपरासी स्तर से लेकर टॉप लेवल के अफसरों की संख्या लाखों में है। उस समय की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पेंशन बन्द करने का फैसला कर सरकारी कर्मचारियों में निराशा का भाव भर दिया था। (Rajasthan Budget 2022-23)
गहलोत ने राजस्थान के सरकारी कर्मचारियों का तो अपना प्रशंसक बनाया ही बाकी देश भर के कर्मचारी अपनी सरकारों की तरफ देखने लगे हैं। पहली बार किसी राज्य सरकार ने ऐसा फैसला किया है जिसकी देश भर में चर्चा हो रही है। राजस्थान के सरकारी कर्मचारियों ने घोषणा के दिन जश्न मनाया। बाद में हजारों की संख्या में सरकारी कर्मचारियों ने सीएम का आभार भी जताया। गहलोत के फैसलों से आलाकमान भी गदगद है। प्रियंका गांधी ने तो ट्वीट कर अपनी सरकार की पीठ थपथपा बड़ा फैसला कहा। हमारी सरकारें जनता के हित मे काम करती हैं करती रहेंगी।
यही नहीं पार्टी ने राष्ट्रीय स्तर पर विशेष संवाददाता सम्मेलन कर मामले को बड़ी उपलब्धि के रूप में उठा मोदी सरकार और गैर कांग्रेसी सरकारों पर दबाव बना दिया। प्रदेश प्रभारी अजय माकन और प्रदेश अध्य्क्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय 24 अकबर रोड़ में पीसी कर कांग्रेस को सरकारी कर्मचारियों की हितेषी करार दे देश भर में ओल्ड पेंशन व्यवस्था लागू करने की मांग कर दी। यह संयोग ही है कि राजस्थान के प्रभारी अजय माकन ने दिल्ली में सरकारी कर्मचारियों के हितों में हमेशा झण्डा बुलन्द किया।(Rajasthan Budget 2022-23)
उनके नेतृत्व में सरकारी कर्मचारियों ने 2006 यूपीए के कार्यकाल में तब के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिल वेतन की विंसगतियाँ बताई थी। उसका ही परिणाम था कि मनमोहन सिंह की सरकार ने छटा वेतन ला सरकारी कर्मचारियों की बल्ले बल्ले कर दी थी। सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कई गुना बढोत्तरी कर चोंका दिया था। भारी वेतन बढ़ाने के पीछे सरकार की मनसा थी सरकारी कर्मचारी भी निजी कंपनियों के कर्मचारियों की तरह शानदार जीवन जी सके। इस वेतन आयोग का कांग्रेस को 2009 के आम चुनाव में लाभ भी मिला। (Rajasthan Budget 2022-23)
इसमें कोई दो राय नही है कि कांग्रेस जब भी शासन में रही सरकारी कर्मचारियों को महत्व दिया जाता रहा है। सरकारी कर्मचारी मानते भी हैं बीजेपी सरकारी कर्मचारियों के हमेशा खिलाफ रहती है। वाजपेयी शासन में पेंशन बन्द की गई। मोदी सरकार में सातवें वेतन आयोग में तमाम खामियां रही। सरकारी कर्मचारी को ठगा गया। ऐसे फैसले किये जा रहे हैं जिससे सरकारी नोकरी खत्म हो। गहलोत सरकार ने ऐसे समय पर आम जन को लेकर फैसले किये जब कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर निराश थी।(Rajasthan Budget 2022-23)
गहलोत ने पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाली जैसा बड़ा फैसला कर देश भर के सरकारी कर्मचारियों में कांग्रेस के प्रति सोच बदलने की कोशिश की है। सरकारी कर्मचारी चुनाव में कितनी बड़ी भूमिका निभाते हैं गहलोत से ज्यादा कोई नही जानता। 2003 में सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी ने सूखे को लेकर किये बेहतरीन कार्यो पर पानी फेर दिया था। 10 साल से भीषण सूखे से जूझ रहे राजस्थान के लोगों को गहलोत सरकार ने तब मुफ्त राशन बांट भूख से नही मरने दिया था।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राज्य सरकार की जमकर सराहना भी हुई थी, लेकिन सरकारी कर्मचारियों ने 5 साल तक वेतन में कोई बढोत्तरी नही होने के चलते गहलोत सरकार को हराने में बड़ी भूमिका निभाई थी। इसलिये इस बार गहलोत ने ऐसा फैसला किया है कि सरकारी कर्मचारी हमेशा के लिये फेन हो जाएगा।
आरटीडीसी के चेयरमेन धर्मेंद्र राठौर कहते हैं कि मुख्यमंत्री गहलोत के इस ऐतिहासिक बजट के बाद विपक्ष मुद्दा विहीन हो गया। गांव गांव से सरकारी कर्मचारियों के फोन आ रहे हैं। पहली बार किसी बजट पर पूरे राज्य में जश्न मनाया गया। साबित हो गया काँग्रेस आम आम जन का हित रखती है। किसान से लेकर हर वर्ग खुश है। शहरों के बेरोजगारों के लिये बनाई इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी भी ऐतिहासिक है। किसान नेता और राज्य के परिवहन मंत्री ब्रजेन्द्र ओला कहते हैं कृषि बिल ऐतिहासिक शुरूआत है।हमारी सरकार ने किसानों पर विशेष ध्यान दिया है। राज्य का किसान बजट से बहुत खुश है।(Rajasthan Budget 2022-23)
दरअसल जो कांग्रेस अभी तक मोदी सरकार पर ठीक से दबाव नहीं बना पा रही थी मुख्यमंत्री गहलोत ने बड़ा मौका दे दिया है। एआईसीसी ने पहली बार किसी राज्य सरकार के बजट पर पीसी कर मोदी सरकार को बैकफुट पर लाने की राजनीति की शुरूआत कर दी है। ओल्ड पेंशन योजना बहाली, शहरी रोजगार गारंटी, किसानों के लिये की गई घोषणाएं यह सब ऐसे मामले हैं जिनका तोड़ केंद्र के पास नही है। बीजेपी और मोदी सरकार के सामने संकट यह है कि गैर बीजेपी शासित सभी राज्य अगर इन फैसलों को लागू करते हैं तो मोदी सरकार और भाजपा भारी दबाव में आ जाएंगे।
क्योंकि आम जन से जुड़े यह ऐसे मामले हैं जो कांग्रेस को फिर से खड़ा कर सकते हैं। गहलोत ने ऐतिहासिक फेसले कर आलाकमान पर अपना भरोसा और मजबूत किया है। उनके फैसलों से विपक्ष तो हतप्रभ है और पार्टी में उनके विरोधी समझ ही नही पा रहे हैं कि अब क्या करें। गहलोत अपने तीसरे कार्यकाल में जिस तरह से फ्रंट फुट पर आ कर धुंआधार चौके छक्के लगा रहे हैं उससे साफ है कि वह अगला चुनाव भी जीत अपनी पारी जारी रखेंगे। आलाकमान भी उन पर भरोसा बना यही उम्मीद रखे हुए कि गहलोत पारी बरकरार रखें। (Rajasthan Budget 2022-23)
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