Ashok Gehlot vs Sachin Pilot: राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) की सड़क तक पहुंचने वाली राजनीतिक कुश्ति का सबसे ज्यादा असर राजस्थान कांग्रेस प्रभारियों पर दिखाई देता है। दोनों नेताओं के बीच पिछले चार सालों से खींचतान चली आ रही है। बता दें कि इसका सीधा असर कांग्रेस पार्टी और कार्यकर्ताओं पर तो पड़ ही रहा है, कांग्रेस के दिग्गज नेता और राजस्थान के प्रभारियों के लिए भी ये पद कांटों का ताज बन गया है। वहीं सीएम आवास पर प्रभारियों द्वारा बुलाई गई बैठक में गहलोत समर्थक नहीं पहुंचे। इस दौरान कई विधायकों के इस्तीफे भी हुए और प्रभारियों को खाली हाथ लौटना पड़ा था।
सीधी सी बात है, राजस्थान में नेताओं के आपसी कलह को निपटाने के लिए कांग्रेस प्रभारी कई दफा कोशिश कर चुके हैं लेकिन न मेल मिलाप न किसी दबाव से काम चल पाया है। आखिर में प्रभारियों का निर्णय किसी मकाम पर नहीं पहुंच सका है। वहीं इस बार भी कांग्रेस आलाकमान से धरना नहीं करने के संकेत के बावजूद सचिन पायलट ने धरना दिया तो प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने स्पष्ट कहा था कि पायलट के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बता दें इस बयान के बाद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
दोनों के बीच ये मामला 2020 से चला आ रहा है जब अविनाश पांडे को पर्यवेक्षक बनाकर राजस्थान भेजा गया था। उस समय सचिन पायलट और उनके समर्थित विधायक 19 विधायक मानेसर में पहुंच गए थे। इसके बाद 14 अगस्त 2020 को गहलोत सरकार को सदन में बहुमत साबित करना पड़ा था। बता दें कि इस दौरान पांडे पर आरोप लगाया गया कि वे गहलोत को समर्थन दे रहे हैं, आखिर 16 अगस्त को अविनाश पांडे को प्रदेश प्रभारी पद से हटा दिया गया था।