Places to Visit in Bikaner: राजस्थान के बीकानेर में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह, नही करेंगा आने का मन

India News (इंडिया न्यूज़),Places to Visit in Bikaner: राजस्थान के बीकानेर में स्थित ऐसी कई बेहतरीन जगह जहां से घुमने जाओ तो, आने का दिन न करें। जी हां राज्य में कुछ जगह ऐसी भी है जहां छिट्टियां बिताना यादगार बन जाएगा। जैसे-बीकानेर का प्रमुख दर्शनीय स्थल जूनागढ़, का किला, बीकानेर का प्रसिद्ध मंदिर करणी माता मंदिर , बीकानेर का प्रमुख आकर्षण गजनेर पैलेस, बीकानेर शहर का सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल लालगढ़ पैलेस और भांडासर जैन मंदिर बीकानेर का प्रसिद्ध मंदिर।

बीकानेर का जूनागढ़ का किला

राजस्थान के बीकानेर में स्थित जूनागढ़ का किला घूमने या छुट्टियां बिताने के लिए सबसे अच्छी जगह है। यह किला सन 1593 में राजा राय सिंह ने बनवाया था। इस जूनागढ़ के किले की संरचना में खूबसूरत मंदिर और महल शामिल हैं। इस किले की खास बातयह है कि यहां एक खूबसूरत आर्ट गैलरी बनाई गयी हैं।

हरे-भरे घास का मैदान इस किले की सोभा में चार चांद लगा देते हैं और महल की खिड़कियां पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। यहां बना हुआ जेना क्वार्टर खासतौर पर पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर केन्द्रित करता है। क्योंकि यह महान रचनात्मक कौशल की त्रुटिहीन डिजाइन प्रस्तुत करता हैं।

बीकानेर का करणी माता मंदिर

राजस्थान के बीकानेर में स्थित करणी माता का मंदिर जोकि जग-प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता हैं। यह स्थान यहां रहने वाले चूहों की घनी आबादी के लिए जाना जाता हैं। बीकानेर का यह मंदिर देवी दुर्गा के अवतारों में से एक करणी माता को समर्पित है। बता दें कि करणी माता के बारे में एक कहानी प्रचलित है, कि जब करणी माता के पुत्र की मृत्यु हो जाती हैं, तो वह यमदेव से अपने पुत्र के जीवन को वहाल करने के लिए याचना करती है।

लेकिन यमदेव उनकी विनती स्वीकार नही करते। इसके बाद देवी के अवतार करणी माता ने अपने बच्चे को न केवल जीवन दिया बल्कि यह घोषणा भी कर दी की अब उनका परिवार चूहों के रूप में रहेगा। आपको बता दें कि इस मंदिर में लगभग 20,000 से अधिक चूहे हैं, जो इस परिसर में निवास करते हैं।

करणी माता के इस मंदिर को पत्थरों और संगमरमर से बनाया गया है। मंदिर में महाराजा गंगा सिंह द्वारा निर्मित करवाए गए चांदी के गेट लगे हुए हैं। पक्षियों की मार से चूहों की रक्षा के लिए एक लटकती हुयी जाली भी लगाई गयी हैं। इस मंदिर को चूहो के नाम से भी जाना जाता है।

बीकानेर का गजनेर पैलेस

राजस्थान के बीकानेर के विभिन्न दर्शनीय स्थलों में सुमार एक प्रसिद्ध स्थान हैं जोकि एक झील के किनारे बसा है। महाराजा गंगा सिंह जी द्वारा निर्मित गजनेर पैलेस का उपयोग प्राचीन में शिकार और अवकाश बिताने के लिए एक लॉज के रूप में किया जाता था।

गजनेर पैलेस में बनी मूर्तियां, स्क्रीन, झारोखे और लाल बलुआ पत्थर से बनी शिल्प कौशल की एक उत्कृष्टता देखने को मिलती है। बता दें कि यहां पर एक घना जंगल हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। इस जंगल में ब्लू बुल, चिंकारा, हिरण, क्लाउड एंटेलोप और ब्लैक बक जैसे भटकते हुए जीव-जंतुओं को देखा जा सकता हैं।

बीकानेर लालगढ़ पैलेस

बीकानेर का लालगढ़ पैलेस अपने आप में ही एक खूबसूरत संरचनात्मक महल है। इस खूबसूरत महल का निर्माण महाराजा गंगा सिंह की आज्ञानुसार 20वीं शताब्दी के दौरान करवाया गया था। लेकिन वर्तमान में यह महल एक होटल में तब्दील कर दिया गया है। महल में राजपूताना अंदाज में बनी भव्य डिजाइनो के साथ-साथ सुरुचिपूर्ण आंतरिक सजावट देखने लायक द्रश्य बनाती हैं। जोकि पर्यटकों को आने के लिए आकर्षित करती है।

आपको बता दें कि लालगढ़ पैलेस में एक संग्रहालय भी निर्मित किया गया हैं जो गंगा निवास के अंदर बना हुआ हैं। बीकानेर के कला स्कूल से जुड़े लघु चित्रों को भी यहां देखा जा सकता हैं। इस महल में एक पुस्तकालय भी हैं, जिसमें चर्मपत्र, सोने, चांदी और तांबे की पट्टियों पर संस्कृत भाषा में मुद्रित पांडुलिपियों का एक बड़ा संग्रह है। हड़प्पा सभ्यता की संस्कृति, गुप्त काल और कुषाण वंश से संबंधित कलाकृतिया को भी यहां संरक्षित करके रखा गया हैं।

बीकानेर का भांडासर जैन मंदिर

बीकानेर शहर के दो प्रसिद्ध जैन मंदिरों में से एक भांडासर जैन मंदिर स्थित है। यह घूमने जाने के लिए पर्यटकों की पहली पसंद बना हुआ हैं। भांडासर जैन मंदिर पीले पत्थरों की नक्काशी और दर्शनीय चित्रों के साथ सुसौभित है। मंदिर के आंतरिक भाग के स्तंभों और दीवारों पर बने चित्र इस मंदिर की खूबसूरती को परिभाषित करते है।

बता दें कि दीवारों पर 24 जैन शिक्षकों को चित्रित किया गया हैं। इस मंदिर की तीन मंजिला ईमारत में पहली मंजिल पर देवताओं की संतानों के लघु चित्रों को रखा गया। उसके बाद सबसे ऊपरी मंजिल से पर्यटकों को शहर का खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है। लेकिन बता दें कि यह मंदिर 16वीं शताब्दी के दौरान एक भंडसा ओसवाल नामक एक व्यापारी ने बनवाया था और यह मंदिर मूल रूप से पांचवे जैन तीर्थकर सुमितनाथ को समर्पित हैं।

 

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Nisha Parcha

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