(इंडिया न्यूज), जयपुर: (Pilot’s attack on leaders close to Gehlot) राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन इससे पहले ही CM अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच एक बार फिर माहौल गरमाया हुआ है। पायलट ने पिछले साल विधायक दल की बैठक में शामिल न होने वाले गहलोत के खेमे के नेताओं पर कार्रवाई की मांग की है।
पायलट ने बुधवार यानी 15 फरवरी को कहा कि पिछले साल जयपुर में पार्टी विधायक दल की बैठक में नहीं होने दी गई थी। इसके लिए जिम्मेदार नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में ‘अत्यधिक देरी’ हो रही है। राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा बदलनी है, तो राजस्थान में कांग्रेस से जुड़े मामलों पर जल्द फैसला करना होगा।
पायलट ने कहा कि व्यक्ति बड़ा हो या छोटा, पार्टी के नियम सभी के लिए समान हैं। अपने एक इंटरव्यू में पायलट ने CM अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले तीन नेताओं को चार महीने पहले दिए गए शोकॉज नोटिस का हवाला दिया। उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, एके एंटनी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि मामले में देरी क्यों को रही है। सचिन ने आगे कहा कि विधायक दल की बैठक 25 सितंबर को CM ने बुलाई थी। यह बैठक नहीं हो सकी।
तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देशों का पालन नहीं किया गया। बैठक में जो भी होता वो अलग मुद्दा था, लेकिन बैठक ही नहीं होने दी गई। जो लोग बैठक नहीं होने देने और समानांतर बैठक बुलाने के लिए जिम्मेदार थे उन्हें अनुशासनहीनता को लेकर नोटिस दिए गए थे। मुझे मीडिया के माध्यम से यह जानकारी मिली कि इन नेताओं ने नोटिस के जवाब दे दिए हैं। वहीं, कांग्रेस कमेटी की ओर से अब तक इसको लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है।
पायलट ने आगे ये भी कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने हाई कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है। इसमें बताया गया है कि उन्हें 81 विधायकों के इस्तीफे मिले थे, जबकि कुछ विधायकों ने व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफे सौंपे थे। हलफनामे में यह भी कहा गया कि कुछ विधायकों के इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए, क्योंकि वे मर्जी से नहीं दिए गए थे। पायलट ने कहा कि अगर विधायक अपनी मर्जी से नहीं गए थे तो वे किसके दबाव में दिए गए थे? क्या कोई धमकी थी? लालच था या दबाव था? इस मामले की पार्टी को जांच कराने की जरूरत है।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि राजस्थान में चुनाव होने वाले हैं, अब बजट भी पेश हो चुका है। कांग्रेस लीडरशिप ने कई बार कहा कि वह फैसला करेगा कि कैसे आगे बढ़ना है। राजस्थान में पिछले 25 साल से हर पांच साल से सरकार बदलने की परंपरा चल आ रही है। अगर इसे बदलना है तो कांग्रेस को राजस्थान पर जल्द फैसला करना होगा। पायलट ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजस्थान में आक्रामक ढंग से प्रचार कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस को अब मैदान पर उतरकर कार्यकर्ताओं को लामबंद करना होगा, जिससे हम लड़ाई के लिए तैयार रहें।
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