इंडिया न्यूज, जयपुर:
आज से प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में OPD और IPD की सुविधा मिलेगी फ्री। अगर आप राजस्थान के निवासी है तो प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में फ्री इलाज करवा सकेंगे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा के अनुसार फ्री ओपीडी और आइपीडी की सुविधा आज से प्रदेश के लोगों को मिलना शुरू हो गई हैं। प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में राजस्थान के निवासी का नि:शुल्क इलाज हो सकेगा।
हालांकि इस योजना का लाभ 1 अप्रेल से मिलना शुरू हो गया था। लेकिन अप्रेल माह में योजना का ड्राई रन चल रहा था। अब आज से ओपीडी एवं आइपीडी सुविधाएं प्रदेशवासियों को पूर्णत: नि:शुल्क दी जाएगी। एक माह की अवधि में व्यवस्था का ड्राई रन कर देखा गया और इस दौरान आने वाली समस्याओं को दूर किया गया। अब योजना का औपचारिक प्रारंभ आज 1 मई से शुरू कर दिया गया है।
अगर कोई मरीज राजस्थान का निवासी है और मरीज के पास चिरंजीवी कार्ड नहीं है तो भी उसे नि:शुल्क इलाज मिल सकेगा। अस्पताल के रजिस्ट्रेशन काउंटर पर ऐसा कोई भी पहचान पत्र जिसमें उसके राजस्थान के निवासी होने का प्रमाण है तो उस मरीज का सरकारी अस्पताल में भर्ती होने पर मुफ्त इलाज हो सकेगा। सरकारी अस्पतालों में ओपीडी व आइपीडी मरीजों की समस्त दवाइयां एवं जांचें नि:शुल्क रहेंगी।
ये सुविधा प्रदेवासियों को नि:शुल्क मिलेगी, लेकिन प्रदेश के बाहर से आने वाले मरीजों से नियमानुसार शुल्क लिया जाएगा। मरीज के प्रदेशवासी होने के प्रमाण के रूप में मरीज का जन आधार कार्ड अथवा अन्य दस्तावेज लिए जाएंगे। मरीजों के इलाज के अलावा पार्किंग, कैंटीन और कॉटेज का शुल्क पहले की तरह ही राजस्थान मेडिकल रीलिफ सोसायटी के नियमानुसार ही लगेगा। वहीं चिरंजीवी योजना में शामिल प्रदेशवासियों को प्राइवेट अस्पताल में दस लाख रुपए तक का नि:शुल्क मिल सकेगा। लेकिन राजस्थान के अलावा अन्य किसी भी राज्य के मरीज को यह सुविधा नहीं मिलेगी।
चिरंजीवी योजना में अब लीवर ,हार्ट, किडनी, बोनमेरो ट्रांसप्लांट, कॉकलियर इम्प्लांट, हिप रिपलेसमेंट जैसे महंगे इलाज भी योजना में अब नि:शुल्क उपलब्ध है। इन नए इलाज के जुड़ने के साथ ही अब योजना में पैकेज भी 1597 से बढ़कर 1633 हो गए है। योजना से अब तक प्रदेश के 12 लाख से अधिक लोग नि:शुल्क इलाज से करवा चुके है। प्रदेश के लोगों को उनके घरों के पास ही गुणवत्तापूर्ण इलाज नि:शुल्क मिलें इसके लिए योजना से लगातार प्राइवेट अस्पतालों को जोड़ा जा रहा हैं। योजना से अब तक प्रदेश के 755 निजी अस्पताल जुड़ चुके हैं।
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