(इंडिया न्यूज),सिरोही: (Mahashivratri 2023) आज 18 फरवरी को पूरे देश में महाशिवरात्रि मनाई जा रही है। महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव भक्त भगवान शिव पर दूध और जल से रुद्राभिषेक करते हैं तथा भगवान शिवजी को फूल-माला समेत बेर और बेलपत्र आदि अर्पित करने की भी काफी मान्यता है। राजस्थान के सिरोही में स्थित सारणेश्वेर महादेव मंदिर की काफी मान्यता है।
राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित सारणेश्वतर महादेव मंदिर को लेकर कई तरह की पौराणिक और लोक कथाएं प्रचलित हैं, जिनसे भगवान शिव जी की महिमा को समझा जा सकता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव जी का रुद्राभिषेक करने के लिए स्वीयं मां गंगा प्रकट होती हैं। उनके जल से ही वैदिक मंत्रोच्चा्र के साथ शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। इस मौके पर हजारों की तादाद में श्रद्धालु मंदिर पहुंच कर भगवान त्रिपुरारी का पूजन करते हैं, जिसे देखते हुए मंदिर और स्थाभनीय प्रशासन की तरफ से व्यागपक व्यजवस्थाझएं की जाती हैं।
महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर रात 11:00 बजे माता गंगा मंदिर में बने रंग कुंड में प्रकट होती हैं। इसके बाद गंगाजल से भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है। सवा लाख घड़ों में गंगाजल लेकर त्रिकालदर्शी भगवान भोले जी का अभिषेक किया जाता है। देवनगरी सिरोही में भगवान भोलेनाथ की महिमा अपरंपार है। सिरोही के आराध्य देव सारणेश्वर महादेव के मंदिर में शिवरात्रि के दिन अनोखा चमत्कार भी देखने को मिलता है। आपको बता दें कि यहां पर सैकड़ों श्रद्धालुओं के सामने रात 11 बजे मां गंगा कुंड में प्रकट होती हैं और सभी श्रद्धालु सवा लाख घड़ों में गंगाजल लेकर महादेव जी का अभिषेक करते हैं। लोगों का मानना है कि इस अभिषेक के जल से कई प्रकार के चर्म रोग दूर होते हैं।
बताया जाता है कि मुघल शासक अलाउद्दीन खिलजी ने 1299 ईस्वी के भाद्र मास में सिरोही पर आक्रमण किया था। साथ ही उसने सारणेश्वर महादेव को नुकसान पहुंचाना चाहा, लेकिन खिलजी को सिरोही नरेश के आगे घुटने टेकने पड़े थे। आपको बता दें कि अलाउद्दीन खिलजी को अचानक कोढ़ बीमारी हो गई और भगवान शंकर के शुक्ल तीर्थ के जल से स्नान करने के बाद ही वह स्वरस्थन हुआ था। इसके बाद अलाउद्दीन ने हार मानी और वचन दिया कि वो पुनः कभी सिरोही पर आक्रमण नहीं करेगा। कहा तो यह भी जाता है कि उसने जो धन लूटा था उसे भगवान शंकर को अर्पित कर दिया था। इसी धन से मंदिर के अंदर का सफेद परकोटा औऱ उपमंदिर का निर्माण हुआ