(जयपुर): ह्यूमन इम्यूनोडेफिसियेंसी वायरस यानी HIV एड्स दुनिया में ऐसी बीमारी है जिसका अब तक पुरे तरीके से इलाज नहीं खोजा गया है। अपको बता दे कि इस बीमारी को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतिया और गलत जानकारियां दूर करने और एचआईवी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल दुनियाभर में एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है।
राजस्थान में इस बीमारी को चलते वर्तमान में 50 हजार से ज्यादा लोग ग्रसित है, जिनका इलाज चल रहा है, लेकिन बता दें कि राज्य में ये बीमारी आज से 35 साल पहले डिटेक्ट हुई थी।
स्वास्थ्य विभाग में राजस्थान स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के निदेशक डॉ. रवि प्रकाश शर्मा के मुताबिक राजस्थान में ये बीमारी आज से 35 साल पहले दस्तक दे चुकी थी। अजमेर के पुष्कर में साल 1987 में एक विदेशी युवक में इस वायरस को डिटेक्ट किया गया था।
तब से अब तक राजस्थान में लगातार एड्स के केस मिल रहे है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में एड्स के मामले में राजस्थान देश में 12वें नंबर पर आता है और यहां हर साल इस बीमारी से औसतन 280 लोगों की मौत होती है।
इस बार डब्ल्यूएचओ ने वर्ल्ड एड्स दिवस को इक्विलिटी यानी समानता थीम पर मनाया जाएगा। इसका उदेश्य है कि एचआईवी पीड़ित मरीज से किसी तरह का भेदभाव न हो। यानी उसे इलाज करने या समाज में दूसरी सुविधाएं मुहैया करवाने का। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने इन मरीजों के हितों की रक्षा के लिए एक कानून भी पास कर रखा है। इस कानून के तहत इस बीमारी से प्रभावित मरीज के हितों की रक्षा के लिए लोकपाल की तर्ज पर सुनवाई के लिए अधिकारी नियुक्त किया है।
डॉ. शर्मा के मुताबिक अधिकांश लोगों में गलतफहमी या कहे गलत जानकारी है कि एड्स छून, साथ खाने या साथ बैठने से फैलता है। ऐसा बिल्कुल नहीं है। अब तक हुए रिसर्च में ये सामने आया है कि ये बीमारी केवल 4 कारणों से फैलती है। इसमें सबसे बड़ा कारण असुरक्षित शारीरिक संबंध स्थापित किए जाए किसी संक्रमित व्यक्ति से।
इसके अलावा दूसरा बड़ा कारण संक्रमित व्यक्ति का दिया गया ब्लड किसी सामान्य व्यक्ति के चढ़ाया जाए। तीसरा कारण किसी संक्रमित व्यक्ति के उपयोग ली गई सिरिंज का उपयोग सामान्य व्यक्ति के किया गया हो या किसी संक्रमित महिला से उसके पैदा होने वाले बच्चे में। इन चार कारणों से ही ये बीमारी फैलती है।