इंडिया न्यूज़, Kota News: राजस्थान में अवैध खनन के विरोध में आत्मदाह करने वाले साधु के निधन के बाद अब कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से को एक पत्र लिखते हुए खनन मंत्री को बर्खास्त करने का आग्रह किया है। उन्होंने पत्र में लिख कि प्रदेश के खनन मंत्री प्रमोद भाया को प्रदेश में खनन माफियाओं को काबू में करना है।
लेकिन बड़े खनन माफिया खुद खनिज मंत्री हैं। अवैध खनन का रिकॉर्ड उन्होंने बनाया है। जंगलों, जमीनों, नदियों और नालों की अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए। 12 अन्य जिलों में मंत्री इस तरह से अधिकारियों की नियुक्ति करते रहे हैं। मंत्री के ऑपरेशन के कारण कई लोगों की जान चली गई है।
एक अन्य कांग्रेस विधायक वाजिब अली ने भी भरतपुर की घटना पर अपनी चिंता व्यक्त की और कहा, “राज्य को पहले ही स्थिति पर ध्यान देना चाहिए था। साधु ने पहले ही चेतावनी दी थी और फिर आत्मदाह का प्रयास किया था। उन्होंने कहा कि साधु द्वारा आत्मदाह “प्रशासन की ओर से लापरवाही दिखाता है, खासकर जब उन्हें पहले ही चेतावनी दी गई थी। उन्हें शांत किया जाना चाहिए था, लेकिन मैं मानता हूं कि जो कुछ भी हुआ वह वास्तव में गलत था।
अवैध खनन के विरोध में राजस्थान के भरतपुर के डीग में आत्मदाह का प्रयास करने वाले साधु का दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। जहां उसे शनिवार को मृत घोषित कर दिया गया। उपमंडल अधिकारी संजय गोयल ने बताया, “साधु विजय दास की अस्पताल में तड़के करीब 2.30 बजे मौत हो गई, जहां आत्मदाह के प्रयास के बाद उनका इलाज चल रहा था। आज सुबह उनका पोस्टमॉर्टम किया जाएगा।
घटना 20 जुलाई को डीग में दर्ज की गई थी जब साधु विजय दास ने इलाके में अवैध खनन के विरोध के बीच आत्मदाह का प्रयास किया था। जिसके बाद उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें जयपुर से दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया गया था। वहीं शनिवार तड़के करीब करीब 2.30 बजे उनके मृत्यु हो गई। वहीं इस आंदोल के दौरान एक साधु टावर पर भी चड़ गए थे। जो करीब 36 घंटे बाद निचे उतरे थे।
अवैध खनन के खिलाफ 551 दिन से चल रहे साधु-संतों के आंदोलन में बुधवार को भरतपुर के पसोपा गांव में बाबा विजय दास नाम के संत ने खुद को आग लगाकर आत्मदाह करने की कोशिश की थी। बाबा ने केरोसीन डालकर आग लगाने के बाद राधे-राधे कहते हुए दौड़ने लगे। पुलिसकर्मियों ने कंबल डालकर आग बुझाई।
बाबा को भरतपुर के राज बहादुर मेमोरियल अस्पताल में भर्ती किया गया है, जहां उनकी हालत गंभीर होने के बाद उन्हें दिल्ली के अस्पताल में भेज दिया गया था। इधर, इसी आंदोलन से जुड़े एक अन्य बाबा नारायण दास 33 घंटे टॉवर पर चढ़कर बैठे रहे। वे मंगलवार सुबह 6 बजे से मोबाइल टॉवर पर चढ़े थे और समझाने के बाद बुधवार दोपहर वापस उतर आए।
साधु-संतों का कहना है कि यह धार्मिक आस्था से जुड़ी जगह है, यहां हिंदू धर्म के लोग परिक्रमा करते हैं, इसलिए यहां वैध और अवैध, दोनों तरह के खनन बंद होने चाहिए। इसी मांग को लेकर वे 551 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं।
आंदोलन कर रहे साधु-संतों की अगुआई कर रहे बाबा हरिबोल ने रविवार 17 जुलाई को आत्मदाह करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद पुलिस बल धरना स्थल पर पहुंच गया था। उन्होंने कहा- मेरी मृत्यु का समय अब निश्चित हो चुका है, जिसे कोई बदल नहीं सकता है।
प्रशासन चाहे कितना ही पुलिस अमला लगा दे, 19 जुलाई को मेरा ब्रजभूमि की सेवा और रक्षा के लिए मरना तय है। मेरी मृत्यु की जिम्मेदार राजस्थान सरकार होगी। इसके बाद सोमवार को साधु-संतों की पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह के साथ मीटिंग हुई थी। मंत्री के आश्वासन के बाद बाबा ने कहा था कि मीटिंग तो रोज होती है, कोई फैसला हो तो बात बने।
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