अभिषेक जोशी, उदयपुर।
Meera Devotion of Cow Service : समाज से मिली उपेक्षा को अपनी नियत मनाने वाले किन्नर, दूसरों की खुशी में ही अपनी खुशियां ढूंढते है। वैसे तो संसार मे हर व्यक्ति दुखी है। कोई मानसिक रूप से दुखी है तो कोई शारीरिक बीमारी से, कोई धन से दुखी है तो कोई मन से, लेकिन किन्नर एक ऐसा वर्ग है जो आत्मा से दुखी है जिसका दर्द कोई स्त्री या पुरुष नहीं समझ सकता। शादी ब्याह और मांगलिक कार्यक्रमों से लाखों रुपये कमाने वाली उदयपुर की एक किन्नर को मांग कर खाना नागवार गुजरा तो उसने अपनी बिरादरी को छोड़ दिया और अब गौ सेवा को अपनी नियति बना लिया है। एकलिंगपुरा इलाके में रहने वाली किन्नर मीरा राठौड़ अब गौ सेवा करके अगले जन्म की योनि को सफल बनाना चाहती है। (Meera Devotion of Cow Service)
मीरा का जन्म 35 साल पहले उदयपुर के एक राजपूत परिवार में हुआ था। माता पिता ने इनका नाम प्रताप सिंह राठौड़ रखा। बढ़ती उम्र के साथ ही पता चलने लगा कि प्रताप के शरीर मे हार्मोन्स सामान्य नहीं है। 10 से 12 वर्ष की उम्र तक शारीरिक बनावट भी असमान्य दिखने लगी तो समाज द्वारा हीन भावना से देखा जाने लगा। इसके बाद उन्होंने 15 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया और बिरादरी के साथ रहने लगी। एक गुरु ने प्रताप को किन्नर मीरा का नाम दिया। मांगलिक कार्यक्रमों में बधाई गीत गाती – बजाती तो अच्छा पैसा भी मिलता था। 2 साल तक बिरादरी के साथ रहकर लाखों रुपये और जेवरात भी इकट्ठा कर लिए। लेकिन मांग कर खाना मीरा के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाता रहा। भगवान से नाराज़ किन्नर वर्ग की मीरा ने अगले जन्म की योनि को सफल बनाने के लिए गौ सेवा का रास्ता चुन लिया और अपने जेवरात बेंचकर गायें ले आई। मीरा ने बताया कि बिरादरी के साथ रहते हुए जो कुछ कमाया वो सब गायों पर खर्च कर चुकी है। पहले तो अपने खर्चे पर 2 गायें खरीदी और अब तक करीब 10 से 12 लाख के जेवरात बेच कर कुल 5 गायों की सेवा में लगी है। मीरा ने बताया कि मांगना छोड़ा तब से कमाई के जरिये भी खत्म हो गए और अब इनकी सेवा करना भी मुश्किल हो रहा है। अगले जन्म में किन्नर योनि में जन्म ना मिले इसलिए भगवान कृष्ण की भक्ति में लग गई। गौ माता में 36 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है इसलिए अब उसका जीवन भी गायों को ही समर्पित है। (Meera Devotion of Cow Service)
मीरा ने बिरादरी छोड़ने के बाद गायों के साथ अपना जीवन शुरू किया। उदयपुर के प्रताप नगर क्षेत्र में किराए पर रही और भजन संध्या में गाकर गायों के साथ खुद का भी पेट पालने लगी। लेकिन गायों को रखने से हर बार मकान मालिक ने आपत्ति जताई और अब तक 5 मकान खाली कर चुकी है। इसके बाद एकलिंगपुरा इलाके में कुछ लोगों ने माताजी के एक स्थान पर मीरा को रहने की अनुमति दी। किन्नर मीरा यहां 5 गायों के साथ रहती है और उनकी देखभाल करती है। पूरा गांव अब मीरा को बुआजी कहकर बुलाता है। गाँव वाले भी बुआजी के दुख और सुख के साथी बन गए है। (Meera Devotion of Cow Service)
किन्नर मीरा का सपना है कि एक गौशाला बनाकर बेसहारा गायों की सेवा करे। मीरा के आगे पीछे कोई नहीं है और ना ही वंश वृद्धि होगी इसलिए जो कुछ भी मीरा को मिलेगा वो सब एक अनाथ को गोद लेकर समर्पित कर देगी। मीरा का कहना है कि जिस तरह समाज मे वृद्धाश्रम और अनाथाश्रम मौजूद है उसी तरह सरकार द्वारा किन्नर वर्ग के लिए भी सोचना चाहिए। किन्नारों को भी सरकारी सेवाओं के लाभ मिलने चाहिए। (Meera Devotion of Cow Service)
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